बनारस में ये ग्यारह जगह नहीं देखी तो क्या देखा?

ARE YOU WANDER-LUSTED?

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If there is such a word, then there is Great news too!

I have a whole library of resources waiting for you to explore – consider it your personal travel-fuel bookshelf.

Grab a coffee and settle in with a good read.

READ, DREAM AND GO EXPLORE!

काशी, जिसे बनारस और वाराणसी नाम से भी जाना जाता है, कभी भी मेरी बकेट लिस्ट का हिस्सा नहीं था। पर कुछ समय पहले ही मुझे मेरे जन्म स्थान कश्मीर और ज्ञानियों की नगरी काशी के आपस के संबंध के बारे में पता चला।

इस ने मेरी रुचि को बढ़ा दिया और वाराणसी के बारे में और जाने की मेरी इच्छा बढ़ती गई।

जब चा (लाइट ट्रैवल एक्शन डॉट कॉम से) ने हम दोनों के लिए एक ‘शार्ट गेटअवे’ सुझाया तो मुझे हां कहने में ज्यादा समय नहीं लगा।

जैसे-जैसे मैं इस नगरी के बारे में और जानती गई, मैं इसकी ओर खिंचती चली गई। क्या यह एक धार्मिक जगह है या एक ऐतिहासिक जगह? आध्यात्मिक या शैक्षिक? जल्द ही मुझे ये सब पता चलने वाला था और इसके अलावा बहुत कुछ और भी।

वाराणसी जाने के लिए सही समय (The right time to visit Varanasi)

मॉनसून या बरसात के मौसम में वाराणसी जाना सही नहीं है। अक्टूबर महीने के साथ ही वाराणसी में मानसून का अंत और सर्दियों की शुरुआत होती है। अक्टूबर से मार्च महीने के मध्य तक मौसम सुहावना रहता है और इसके बाद गर्मियों की शुरुआत होती है। सर्दियों में गर्म कपड़ों की जरूरत पड़ सकती है।

मैं वाराणसी कब गई?

मॉनसून के दौरान!

Lord Hanuman wall art depicting water level of ganges in varanasi in monsoon
Rising water Level of Ganges during Monsoon

मानसून के दौरान गंगा बहुत ही ‘अनप्रिडिक्टेबल’ हो सकती है। पानी का स्तर बढ़ चुका था और बोट राइड रद्द हो गई थी।

और यही कांवड़ियों का भी मौसम है। दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में रहने वाला हर आदमी जानता है कि इन भगवे कपड़े पहने श्रृद्धालुओं से दूर रहना ही बेहतर है।

इसके बारे में और मैं आपको आगे बताउंगी।

kanwariyas who are devotees of shiva can be seen bathing in safron robes in the holy water of the ganges
The sling called Kanwar is often decorated with orange-red flags and tassels and is a sight to behold

और इन सबसे बढ़कर मेरी ‘वेदर एप’ ने पहले ही मुझे जानकारी दे दी थी कि हमारी यात्रा के तीनों दिन बारिश होने की पूरी संभावना थी।

वाराणसी मैं क्या-क्या कर सकते हैं? (Things to do in Varanasi)

women sitting on boat in ganges varanasi
Monsoons couldn’t stop us from visiting Varanasi

हम शुक्रवार की दोपहर हल्की बारिश के बीच बनारस पहुंचे। हमारे होमस्टे पहुंचने तक बारिश थम चुकी थी और मौसम सुहावना हो चुका था। हमने अपना होमस्टे घाट के बहुत ही नजदीक बुक किया था जो कि बहुत जरूरी हो जाता है अगर आप बनारस पैदल घूमना चाहते हैं। 

black and white photo of a heritage building in the bylanes of varanai
Travel on Foot to soak in the real essence of Varanasi

बनारस में देखने लायक बहुत से स्थान हैं और करने के लिए बहुत कुछ। एक-दो दिन या सप्ताहांत में घूमने के लिए निम्न्लिखित स्थान बहुत उपयुक्त हैं।

कुछ समय पहले ही मुझे मेरे जन्म स्थान कश्मीर और ज्ञानियों की नगरी काशी के आपस के संबंध के बारे में पता चला। इस ने मेरी रुचि को बढ़ा दिया और वाराणसी के बारे में और जाने की मेरी इच्छा बढ़ती गई। जैसे-जैसे मैं इस नगरी के बारे में और जानती गई, मैं इसकी ओर खिंचती चली गई। क्या यह एक धार्मिक जगह है या एक ऐतिहासिक जगह? आध्यात्मिक या शैक्षिक? जल्द ही मुझे ये सब पता चलने वाला था और इसके अलावा बहुत कुछ और भी।अगर आप बनारस जाने का प्लान कर रहे हों तोह इस पोस्ट को जरूर पढ़िएगा. उम्मीद करती हूँ मेरे ट्रेवल टिप्स आपके काम आएंगे #lighttravelaction #hindi #hindiblogpost #indiatravel #incredibleindia #वाराणसी #वाराणसीदर्शनीयस्थल #सारनाथदर्शनीयस्थल #बनारसकीमशहूरचीज
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  1. काशी विश्वनाथ मंदिर- 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक 
  2. वाराणसी के घाट- मंत्रमुग्ध कर देने वाली गंगा आरती
  3. वाराणसी कुछ हट के- संत कबीर प्राकट्य स्थल
  4. बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय- बनारस का शैक्षिक केंद्र
  5. वाराणसी का जंतर-मंतर- महाराजा जय सिंह द्वारा बनवाये गए 5 जंतर-मंतर में से एक
  6. वाराणसी की भांग लस्सी- चखोगे तो ही जानोगे
  7. वाराणसी के अस्सी घाट की प्रातःकालीन आरती- आरती, शास्त्रीय संगीत और योग का संगम
  8. वाराणसी के तुलसी अखाड़े की कुश्ती- देसी खेल के दर्शक बनिए
  9. रानी लक्ष्मीबाई जन्मस्थली- झाँसी की रानी का स्मारक
  10. वाराणसी के संस्कृत विद्यालय- संस्कृत सुनें और विद्यार्थियों से मिलें 
  11. कबीर चौरा मठ- संत कबीर की समाधि और स्मारक

काशी विश्वनाथ मंदिर

विश्वनाथ भगवान शिव का ही दूसरा नाम है जिसका अर्थ है ‘विश्व का नाथ’।

काशी विश्वनाथ मंदिर प्रसिद्ध क्यों है?

कुछ समय पहले ही मुझे मेरे जन्म स्थान कश्मीर और ज्ञानियों की नगरी काशी के आपस के संबंध के बारे में पता चला। इस ने मेरी रुचि को बढ़ा दिया और वाराणसी के बारे में और जाने की मेरी इच्छा बढ़ती गई। जैसे-जैसे मैं इस नगरी के बारे में और जानती गई, मैं इसकी ओर खिंचती चली गई। क्या यह एक धार्मिक जगह है या एक ऐतिहासिक जगह? आध्यात्मिक या शैक्षिक? जल्द ही मुझे ये सब पता चलने वाला था और इसके अलावा बहुत कुछ और भी।अगर आप बनारस जाने का प्लान कर रहे हों तोह इस पोस्ट को जरूर पढ़िएगा. उम्मीद करती हूँ मेरे ट्रेवल टिप्स आपके काम आएंगे #lighttravelaction #hindi #hindiblogpost #indiatravel #incredibleindia #वाराणसी #वाराणसीदर्शनीयस्थल #सारनाथदर्शनीयस्थल #बनारसकीमशहूरचीज
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आठवीं शताब्दी के वेदांत पंडित आदि शंकराचार्य द्वारा वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर को 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना गया है। यह वह स्थान है जहां पर भगवान शिव स्वयं अग्नि के स्तंभ (स्वयंभू लिंग) के रूप में प्रकट हुए।

इन शिवालयों को इंसानों द्वारा बनाए गए शिवालयों (स्थापित लिंग) से अलग माना गया है।

Bhang Thandai Lassi Varanasi
Raw milk and Bhang offering for Lord Shiva

काशी विश्वनाथ ( भगवान शिव का एक रूप) मंदिर के बाहर से ही कच्चा दूध खरीद कर यहाँ अर्पित किया जा सकता है।

कच्चा दूध ही क्यों?

सांकेतिक भाषा के द्वारा हमारे पूर्वज हमारे साथ अपना ज्ञान बांटते हैं।

Boats lined up in the Ganges at Assi Ghat in Varanasi
Boat ride on the Ganges at Assi ghat

शिव एक तपस्वी भगवान हैं। यदि दूध को जीवन का रूप माना जाए तो कच्चा दूध शुद्ध जीवन  की तरह है। यह तपस्वी शिव भगवान के लिए बिल्कुल उपयुक्त है जो दुनिया को बदलने की परवाह नहीं करते।

काशी मंदिर का समय

मंदिर के द्वार सुबह 2:30 बजे खुलते हैं और रात को 11:00 बजे बंद होते हैं। आरती के समय जानने के लिए यहां क्लिक करें।

बनारस आ कर चाट नहीं खाई तो क्या खाया?

image of indian sweets gulab jamoon, pani puri, tamatar ki chaat and a henna tattooed hand
Kashi Chaat Bhandar is what i would recommend

अगर आप उत्तर प्रदेश में है और खासकर बनारस में तो आपको चाट खाना नहीं भूलना चाहिए। दोपहर के समय में ताज़ी चाट तैयार की जाती है और 2:00 या 3:00 बजे से देर रात तक गोलगप्पे, टमाटर चाट, पालक चाट, कचोरी, पापड़ी चाट, और भी कई मुंह में पानी लाने वाली ऐसी चीज बिकती हैं।

वाराणसी के घाट

हम राजेंद्र घाट तक पैदल गए और तकरीबन 1 घंटा तक सर्वे करने के बाद आखिर हमें दशाश्वमेध घाट पर एक सही जगह मिल गई जहां से हम गंगा आरती का आनंद ले सकते थे।

kanwariyas who are devotees of shiva can be seen bathing in safron robes in the holy water of the ganges
The Kanwariyas carry water of the Ganga barefoot and pour it on the Shiva-linga back home on the Amavasya night

घाट के बिल्कुल किनारे पर खड़ी एक नाव के कोने पर बैठकर हमने पुजारियों को आरती करते हुए सामने से देखा।

दशाश्वमेध घाट आरती का समय

गंगा आरती सूर्यास्त के समय शुरू होती है इसीलिए इसका शुरू होने का समय सूर्यास्त के समय के साथ बदलता रहता है।

मानसून के दौरान इसका समय तकरीबन 7:00 बजे का रहता है। दशाश्वमेध घाट पर 45 मिनट की संध्या गंगा आरती देखना एक जादुई अनुभव था।

Indian priests dressed in Indian traditional dress of dhoti kurta holding lamps in hand as a part of the ganga aarti in varanasi uttar pradesh
One of the stages of Dashashwamedh Ghat Evening aarti for the Ganges: Diya (lights) aarti !

चारों दिशाओं से श्रद्धालुओं से घिरे हुए 7 पुजारियों द्वारा यह आरती की जाती है। 

मेरा सुझाव रहेगा कि आप कम से कम 1 घंटा पहले यहां पहुंचे और दीयों के करीब किसी नाव में एक सही जगह ढूंढ ले जहां से आपको आरती होती हुई साफ दिखाई दे।

हालांकि आरती के दौरान पुजारी चारों दिशाओं की ओर मुड़ते हैं पर आरती का सही दृश्य नाव से ही दिखता है।

one of the stages of ganga aarti where the indian priests dressed in indian dhoti kurta attire offer incense sticks to the holy ganges
The priest turn in all directions but the boat offers the best view

यह आरती गंगा नदी के लिए की जाती है इसलिए पूजा के अधिकांश समय पुजारियों का मुख गंगा की और ही रहता है।

आपको नाव में अपने लिए सीट खरीदनी पड़ेगी जिसे मोलभाव करके आप 800 से 1000 रुपए तक में खरीद सकते हैं।

Incense smoke Aarti done by Indian priest dressed in traditional indian attire of dhoti kurta. The aarti is for the Ganges at the Dashashwamedh Ghat, Varanasi.
Incense smoke Aarti for the Ganges at the Dashashwamedh Ghat, Varanasi.

आरती का आरंभ एक शंखनाद के साथ होता है और अगले 1 घंटे के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ को बांधे रखता है।

हम मंत्रमुग्ध हुए ब्राह्मणों की हर गतिविधि, दीपों की लौ और प्रार्थना के शब्दों में बंध चुके थे।

Priests dressed in traditional Indian dhoti kurta blowing conch shell as dedication to river ganga at Dashashwamedh Ghat in Varanasi
The sound of the Conch Shell is very mesmerizing

यह बेहद ही खूबसूरत और अंतर्मन को छू जाने वाला अनुभव था और हमने अगली शाम यहां दोबारा आने का निर्णय लिया।

वाराणसी, कुछ हटके

बनारस वह जगह है जहां रहस्यमयी कवि और संत ‘कबीर’ का जन्म हुआ। 

हमने अपने दूसरे दिन की शुरुआत संत कबीर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके जन्म स्थान लहरतारा से की जिसे ‘कबीर प्राकट्य स्थल’ के नाम से भी जाना जाता है।

Statue in Varanasi of Kabir, the Mystic Poet Saint of India
Kabir Chaura Math

यही वह जगह है जहां से उन्होंने भक्ति लहर की शुरुआत की और हिंदू और मुस्लिम सब को एक साथ प्रेरित किया।

मैं अपने दादा जी से संत कबीर के बारे में सुनते हुए बड़ी हुई जो कि खुद एक बहुत बड़े कबीर भक्त थे। दादा जी के करीब होने की वजह से मैं अक्सर उन्हें संत कबीर के दोहे बोलते हुए सुनती थी और हमारे परिवार में जैसे यह रच बस गए थे।

मुझे यह महसूस हुआ कि कई सालों बाद आखिर मुझे संत कबीर के बारे में और जानने का मौका मिला और अपने प्रिय स्वर्गीय दादा जी के साथ फिर से जुड़ने का भी।

a small temple or shrine in remembrance of Kabir
Offbeat place to visit in Varanasi: Kabir Prakatya Sthal

यहीं वह सूखा हुआ तालाब है जहां मुस्लिम बुनकर नीरू को एक बच्चा मिला जिसे उसने अपने बच्चे की तरह पाला। यह जगह बहुत ही शांत है और बस एक छोटी सी मजार और एक पुराना कुआं इतिहास के गवाह के रूप में यहां शेष हैं। 

हमें महसूस हुआ कि यहां कुछ ज्यादा लोग नहीं आते हैं। एक महंत ने हमें सुझाया के हम कबीर मठ देखने जाएं जहां कबीर जी रहते थे और जहां उन्होंने अपना ज्ञान लोगों में बांटा।

यहां कबीर के बारे में कुछ जानकारी पा लेने के बाद हमने अगले दिन कबीर मठ जाने का निश्चय किया।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय

हमारा अगला पड़ाव था बनारस हिंदू विश्वविद्यालय जिसकी नींव पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा रखी गई थी।

The Entrance of Banaras Hindu University which was established in 1916 by Madan Mohan Malaviya.
Banaras Hindu University was established in 1916 by Madan Mohan Malaviya.

इसका विशाल कैंपस बनारस का शिक्षा केंद्र है और इसके अंदर हम ऑटो से घूमे। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के गेट पर हर ऑटो ड्राइवर अपने आप में एक गाइड और एक्सपर्ट है जो आपको आपके पसंद की हर जगह बहुत ही कम समय में दिखा सकता है। 

1 घंटे के अंदर ही उसने हमें कला केंद्र दिखाया जो रिचा देखना चाहती थी, आईआईटी केंपस दिखाया जो मैं देखना चाहती थी और नया काशी विश्वनाथ मंदिर दिखाया जो उसे लगता था कि हमें देखना चाहिए।

Shri Vishwanath Mandir, also known as Vishwanath Mandir, Vishwanath Temple, New Vishwanath Temple and Birla Temple is one of the most famous temples and biggest tourist attractions in the holy city of Varanasi.
Shri Vishwanath Mandir also known as Birla Temple is inside Banaras Hindu University, Varanasi

काशी विश्वनाथ मंदिर जिसे बिरला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है एक नया मंदिर है जिसे 1965 में बनाया गया। इस मंदिर का टावर विश्व में सबसे ऊंचा है।

और इस मंदिर के बाहर बिकने वाली ‘कोल्ड कॉफी’ बेहद स्वादिष्ट है। अगर आप यहां आते हैं तो इसका स्वाद लेना ना भूलें।

The entrance of the new Vishwanath temple, also called the Birla temple is located inside the Banaras Hindu University.
The new Vishwanath temple, also called the Birla temple is located inside the Banaras Hindu University.

खाने के मामले में हमने सुबह ही लंका में गुरु रविदास गेट के पास ‘पहलवान लस्सी’ की मजेदार लस्सी का स्वाद चखा। 

Woman buying lassi at the Pehalwan lassi bhandar in lanka in varanai in uttar pradesh india
Pehalwan Lassi Bhandar, Lanka, Varanasi

लंका बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के बाहर का क्षेत्र है। दशहरे के त्यौहार पर रामलीला के अंतिम चरण का मंचन यही होने के कारण इसे लंका कहा जाता है।

वाराणसी का जंतर मंतर – बच्चों के साथ जरूर देखें

मेरे बनारस के एजेंडे में वहां के जंतर मंतर को देखना भी शामिल था। महाराजा जयसिंह द्वारा बनवाई गई पांच ऑब्जर्वेट्रीज में से एक वाराणसी में स्थित है।

woman taking picture of a giant light and shade watch at Jantar Mantar in Varanasi. Jantar Mantar was constructed with an aim of measuring local time, altitude (of the place)
Motion, speed, and properties of stars and planets were also recorded using several special instruments.

मन महल नाम से प्रसिद्ध, इसे ढूंढने में हमें कुछ समय लग गया हालांकि यह बिल्कुल उसी जगह पर स्थित है जिस घाट पर हम सबसे पहले गए थे-राजेंद्र घाट।

मन महल में आपको अलग-अलग जगहों और यंत्रों के कोनों में प्रेमी युगल दिख जाएंगे। हालांकि इससे हमारा उत्साह कम नहीं हुआ और स्कूल के बच्चों की तरह हम इन खगोलीय चमत्कारों को देखकर रोमांचित हो रहे थे।

couples dating in the historical jantar mantar in varanasi.
Love Birds in different nooks and corners! How many can you spot 😉

हमारे उत्साह ने वहां की सुस्त पड़ी मैनेजमेंट को भी जगा दिया और हमें वहां के यंत्रों को समझने के लिए एक ‘गाइडेड टूर’ मिल गया जिससे कि बेचारे प्रेमी जोड़ों को वह जगह छोड़कर अपने लिए अन्य स्थान तलाशने पड़े।

बनारस की हमारी यात्रा जैसे हमारी किस्मत में लिखी थी। हमारी इस तीन दिन की यात्रा में सिर्फ एक दिन सूरज चमका और वो भी तब जब हम जंतर-मंतर में थे।

Image of Jantar Mantar in Varanasi which was was constructed with an aim of measuring local time, altitude (of the place) and also to measure declination of Sun, stars, and planets and to determine eclipses.
Jantar Mantar was constructed with an aim of measuring local time, altitude (of the place) and also to measure declination of Sun, stars, and planets and to determine eclipses.

मेरा सुझाव रहेगा कि अगर आपके पास समय हो तो आप जंतर-मंतर ज़रूर देखें और अगर आप बच्चों के साथ आये हों तब इसे देखना और भी जरूरी हो जाता है। फिलहाल इसे ‘रिस्टोर’ किया जा रहा है और बेहतर सुविधाओं के साथ इसके जल्द ही फिर से खुलने की उम्मीद है।

वाराणसी की भांग लस्सी

हमारे अगले महत्वपूर्ण स्टॉप को लेकर हम असमंजस में थे जो कि था-भांग ठंडाई ।

Bhang Thandai Lassi Varanasi

हम दोनों ने कभी भी भांग नहीं पी थी और ये तय नहीं कर पा रहे थे कि हमें इसे ‘ट्राई’ करना चाहिए या नहीं जिसमें हमने बहुत वक्त जा़या किया। ‘बादल ठंडाई वाला’ पर पहुंचकर यह तय करने में हमें ज्यादा वक्त नहीं लगा। बनारस में भांग है वैध और यह सरकारी केंद्रों पर भी बेची जाती है।

Having Bhang in India: Call it a Crazy cultural drink or an exotic one! I have read many blog posts misleading the readers by calling bhang a weed. BHANG IS NOT WEED. To make Bhang thandai ground leaves of cannabis are mixed with milk and flavoured with kusha grass, dry fruits, sugar, and various spices. In Varanasi they sell it as “bhang thandai” and “bhang lassi”. In Bhang Lassi, milk is substituted with yoghurt! So here’s my dope on Bhang in general and having it in Varanasi in particular.
For beginners mild is good.

बस यही जानना हमारे लिए काफी था। बादल ठंडाई वाले ने हमें गंगा आरती से पहले भांग ठंडाई लेने को कहा और हमें सबसे कम असर वाली ठंडाई दी।

भांग के जोश में हम लोग घाट की तरफ बढ़े और अपनी पहले वाली तय जगह पर उसी नाव में जा कर बैठ गए। वही फूल वाला लड़का ‘आसिफ’ फूल बेचते हुए हमें मिलने आया।

a flower boy selling flowers and diyas by the Dashashwamedh Ghat in Varanasi
Earning my Living!

आरती पिछले दिन की तरह है बेहद दर्शनीय थी पर अफ़सोस भांग का हम पर कुछ असर नहीं हुआ। हां यह हो सकता है कि हम कुछ ज्यादा हंसे हों या नाव कुछ हिलती-डोलती सी रही हो पर इस से ज्यादा कुछ नहीं हुआ।

या तो भांग कुछ ज्यादा ही हल्की थी या फिर शायद ठंडाई वाले ने हमें शहरी लड़कियां समझते हुए कम आँका  और हमें भांग की जगह घास-फूस ही दे दिया। खैर जो भी हो, फिर से कोशिश करने की हिम्मत हम में नहीं थी।

जो भी लोग भांग ठंडाई लेना चाहते हों, इसे अपने यात्रा के आखरी दिन तक न टालें। पहले दिन बिल्कुल हल्की भांग ठंडाई ले और अगर इसका कोई असर ना हो तो अगले दिन उससे कुछ तेज ट्राई करें। और अगर आप को भांग पसंद नहीं है तो आप बहुत से अन्य प्रकार की ठंडाई ले सकते हैं।

हमारे दूसरे दिन का अंत ‘काशी चाट भंडार’ की टमाटर चाट और पालक चाट, और ‘कुबेर पान’ पर पान के स्वाद के साथ हुआ।

वाराणसी के अस्सी घाट की प्रातः कालीन गंगा आरती

बनारस में अपने आखिरी दिन की शुरुआत जल्दी करते हुए हम सुबह गंगा आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने के लिए 5:15 बजे ही अस्सी घाट पहुंच गए। 

Early Morning Ganga Aarti at Assi Ghat with 7 priests blowing conch trumpet
The Early Morning Ganga Aarti and Rising Sun at Assi Ghat with the chanting of mantras and Shlokas is very mesmerizing.

यह बनारस में जुड़ा एक नया अनुभव है जो कि आरती, शास्त्रीय संगीत और योग कार्यक्रम के साथ बेहद प्रभावशाली प्रतीत होता है।

सांस्कृतिक कलाओं के लिए एक रंगारंग मंच प्रदान करते हुए, ये स्थानीय लोगों और पर्यटकों को जोड़ने का एक बहुत ही सटीक उदाहरण पेश करता है।

2 घंटों के इस कार्यक्रम के दौरान युवतियों द्वारा आरती के श्लोकों को एक साथ गाना, मन को छू जाता है। यह लड़कियां संस्कृत की छात्राएं हैं और इन्हें देखकर आपके अंदर के नारीवादी पक्ष को प्रोत्साहन ज़रूर मिलेगा।

Young Sanskrit Students dressed in white salwar and Safron kurta with the author of this blog post
Bhavna looks happy in the company of the young Sanskrit students who recited Vedic Shlokas

अगर आपको योग में रुचि है तो आपको यहां योग कैंप में भाग ज़रूर लेना चाहिए। योग के बाद होने वाला शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम भी अपने आप में बहुत खास अनुभव है।

हमारे साथ ठीक उसी वक्त कुछ ऐसा अविश्वसनीय हुआ जिसकी वजह से हम शास्त्रीय संगीत का आनंद नहीं ले पाए। कुछ ऐसा जिसकी हमें चाह तो थी पर जिसकी उम्मीद हमने बिल्कुल छोड़ दी थी।

Participants doing pranayam at assi ghat as part of Subah-e-Banaras!
Pranayam in session: part of Subah-e-Banaras!

जब संगीत कार्यक्रम शुरू होने वाला ही था तब हमें नदी के किनारे पर कुछ नावों की हलचल होती दिखाई दी। ऐसा लग रहा था कि दो दिन से बारिश ना होने की वजह से अब नौका विहार (बोट राइड) संभव था।

हमने फटाफट एक नाविक के साथ 30 मिनट की ‘राइड’ का सौदा किया। और क्या यादगार राइड थी वो!

View of the Ghats of Varanasi in Uttar Pradesh
A visit to Varanasi is not complete without gliding through the waters of the Ganges

खतरे के निशान से नीचे होने के बावजूद भी गंगा पानी से भरी हुई थी। हल्की हवा चल रही थी और हमारे नाविक के पास बहुत सी कहानियां थी हमें सुनाने के लिए।

बनारस में तो हर कोई कहानियां गढ़ने वाला या पैगंबर या दार्शनिक है।

इस शहर में हर तरफ- घाटों में, मंदिरों में, रीति-रिवाजों में, साड़ियों में, पान में और यहां की नदी में, कोने-कोने में इतिहास और लोक कथाएं बसती हैं।

जहां एक तरफ घाट और मंदिरों के दर्शन से हम ऊर्जा से भर गए थे, वहीं नाव की यात्रा से हम शांत महसूस कर रहे थे। 

Woman on boat at Assi ghat Varanasi Uttarpradesh
It is said that the Goddess Durga (consort of Lord Shiva) had thrown her sword in the river (called Assi River) after killing the demon Shumbha-Nishumbha.

नदी में से हम यह देख और महसूस कर सकते थे की बनारस एक विरोधाभास की नगरी है जहां पर एक तरफ शांति है तो दूसरी तरफ कोलाहल भी है, एक तरफ जीवन है तो मृत्यु भी है, पवित्रता है और गंदगी भी है।

हमारी ‘बोट राइड’ जल्दी ही समाप्त हो गई पर हमारी अंदर उठते विचारों की स्थिति यूं ही बनी रही।

वाराणसी के तुलसी अखाड़े की कुश्ती

अपने विचारों में खोए हुए हम तुलसी घाट पहुंचे। बनारस के 88 घाटों में से एक तुलसी घाट एक छोटा पर सुबह के समय एक शांतिपूर्ण घाट है।

कुछ स्थानीय लोग वहां घाट पर शांति का आनंद ले रहे थे। कई सालों तक कोई अभ्यास ना करने के बाद आज फिर से मेरा मन हुआ ‘स्केच’ बनाने का। यह मेरा अपना तरीका था बनारस में अपने इस समय के लिए ब्रह्मांड को धन्यवाद कहने का।

तुलसी पहलवान अखाड़ा तुलसी घाट पर ही है जो कि उन कुछ अखाड़ों में से एक है जहां औरतें जा सकती हैं। तो हम भी वहां पहुंच गए और पहलवानों को प्रशिक्षण के लिए तैयार होता देखने।

Image of an empty Swaminath Akhada situated at Tulsi Ghat in Varanasi which has a history of 478 years
Swaminath Akhada situated at Tulsi Ghat in Varanasi has a history of 478 years

शारीरिक महारत के इस स्थान में भी एक अलग ही सम्मान का भाव था। सब पहलवानों ने मिलकर उस जगह को साफ किया और रिंग में ताजी मिट्टी खोदने के बाद एक साथ वहां प्रार्थना की।

उन्होंने पारंपरिक ‘वार्म-अप्स’ से शुरुआत की जिसमें भार उठाना और पूरे शरीर पर मिट्टी मलना शामिल था। 

Indian wrestlers warming with indegenouly made weights at Tulsi ghat in Tulsidas Akhada
Warm up with indigenous weights

रिंग में इस्तेमाल की जाने वाली मिट्टी, बेहतरीन मिट्टी के साथ हल्दी, दूध, तेल और जड़ी बूटियों का एक ऐसा मिश्रण है जो शरीर के लिए काफी लाभदायक है।

पहलवानों को कुश्ती करते और अपने गुरु की निगरानी में प्रशिक्षण लेते देखना रोमांचक अनुभव था।

Indian wrestlers doing the traditional kushti at Tulsi ghat in Tulsidas Akhada
Known as Akhadas, men practice the traditional form of wrestling known as Kushti or Pehlwani.

आगे की कतारों में बैठकर हमने कुछ बेहतरीन मैच देखे।

रानी लक्ष्मीबाई जन्म स्थली

The Bronze Statue of Rani Lakshmibai who is a legendary figure associated with early resistance against the British rule in India, and played an important role during the Indian Rebellion of 1857.
Rani Lakshmibai is a legendary figure associated with early resistance against the British rule in India, and played an important role during the Indian Rebellion of 1857.

वापसी के दौरान हम रानी लक्ष्मीबाई के स्मारक पर गए। हमें बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि उनका जन्म बनारस में हुआ था।

Bronze statue of Maharani Lakshmi Bai as a baby with her parents
Manikarnika was married to the Maharaja of Jhansi and was afterward called Lakshmibai in honor of the Hindu goddess Lakshmi.

छोटे पर सलीके से बनाए गए स्मारक के रूप में यह एक बढ़िया श्रद्धांजलि थी।

वाराणसी के संस्कृत विद्यालय

तुलसी घाट के रहस्यमयी रास्तों पर घूमते हुए हमने एक छोटा सा संस्कृत स्कूल देखा जहां हम ने विद्यार्थियों से कुछ बातें की। 

Students of sanskrit school in white dhoti kurta lovingly patting an Indian cow
KASHI RETAINS ITS ANCIENT FAME as a center of learning: It has around 1,600 Sanskrit Vidyalayas

उनके मंत्रोच्चार की क्लास सुबह 7:00 बजे ही शुरू हो चुकी थी।

हमें देखकर उनकी मंत्र उच्चार की आवाज और ऊंची हो गई और जिस आत्मविश्वास के साथ उन्होंने हमारे प्रश्नों के उत्तर दिए वह प्रशंसा के काबिल था।

सारनाथ

सारनाथ वाराणसी से तकरीबन 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक बौद्ध धर्म स्थल है। ऐसा माना जाता है कि यही वह जगह है जहां पर भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के उपरांत पहली बाल शिक्षा प्रदान की।

प्रसिद्ध धामेक स्तूप, चौखंडी स्तूप और अशोक स्तंभ के अलावा यहां आरकेलॉजिकल म्यूजियम, भगवान बुद्ध की मूर्ति, श्री दिगंबर जैन मंदिर देखे जा सकते हैं।

वाराणसी से यहां बस टैक्सी या ऑटो से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

LightTravelAction के हिंदी ट्रेवल ब्लॉग से कुछ और अनोखी जगह।

‘वाह’ का अर्थ है नदी और ‘खेन’ का अर्थ है बहना । मॉरिंगखेंग ट्रेक (Mawryngkhang Trek) का मतलब है झाड़ू की सींखों के खेतों पर बने बम्बू के पुलों और पथरीली चट्टानों का सफर । सुनने में मजेदार लग रहा है ना? तो चलिए आपको इसके बारे में और बताते हैं । मॉरिंगखेंग ट्रेक (Mawryngkhang Trek in Wahkhen) – मेघालय के वाह खेन गांव में पत्थरों के राजा से मुलाक़ात

कबीर चौरा मठ

Entrance of Kabir Chaura Math Varanasi
Kabir Chaura Math also has a library and sculptures around a beautifully curated garden.

बनारस से लौटने से पहले हमारा स्टॉप कबीर चौरा मठ था। लहरतारा के कबीर प्राकट्य स्थल पर जाना मेरे लिए एक बहुत ही बढ़िया अनुभव था पर मैं कबीर के प्रशंसकों को ही वहाँ जाने का सुझाव दूंगी।

जो लोग कबीर के रहस्यमयी व्यक्तित्व और स्कूल में पढ़ाए गए उनके दोहों के बारे में जिज्ञासा रखते हैं, वह लहरतारा के कबीर प्राकट्य स्थल को छोड़कर सिर्फ कबीर चौरा मठ जा सकते हैं।

यह एक काफी बड़ा स्मारक है जिसके अंदर कबीर जी की समाधि, एक छोटा मंदिर, एक पुस्तकालय और बहुत सारी मूर्तियां और शिल्प कला के नमूने हैं जो उनके जीवन की घटनाओं और कहानियों से संबंधित हैं।

Bronze statue of a sanskrit scholar being given drinking water from a pot by a village woman
Kabir’s poems were in vernacular Hindi, borrowing from various dialects including Avadhi, Braj

कबीर जी की जिंदगी अपने आप में एक प्रेरणा है। सिर्फ इसलिए नहीं कि वे एक महान कवि थे पर इसलिए भी कि उन्होंने हिंदुओं और मुस्लिमों की जिंदगी पर बराबर और गहरा प्रभाव डाला। 

उनकी शिक्षाओं की वजह से दोनों धर्म के लोग उनके साथ जुड़े। उन्हें सिख धर्म की स्थापना की शुरुआत का अग्रणी भी माना जाता है और उनके दोहों को सिख धर्म के आदि ग्रंथ में भी स्थान दिया गया है।

Mahant of Kabir Chaura Math narrates stories about Kabir
महंत कहानियों और किंवदंतियों में माहिर होते हैं और आपकी यात्रा को अधिक यादगार बना सकते हैं।

यदि आपके पास समय की कमी है तो बढ़िया रहेगा कि आप किसी महंत के साथ आसपास की जगह का दौरा करें। वे कहानियों और किंवदंतियों में माहिर होते हैं और आपकी यात्रा को अधिक यादगार बना सकते हैं।

मैं बनारस से अपने बच्चों के लिए कहानियों का पुलिंदा इकट्ठा कर लाई।

मुझे ऐसा महसूस होता है कि कबीर जी से संबंधित बहुत सी कहानियां समय के साथ विकृत हो चुकी हैं पर वह अपने आप में एक किंवदंती और रहस्य थे, यह बात अब भी सच है।

Bronze sculpture in Kabir Chaura Math Varanasi
Ask the Mahant to narrate the Interesting story about an arrogant scholar who gets defeated by Sant Kabir!

मेरे लिए वह आज भी एक रहस्य बने हुए हैं पर मैं स्वयं को उनके विचारों के काफी नजदीक पाती हूं और ये समझ सकती हूं कि मेरे तर्कवादी दादा जी को उनकी किस बात ने उनकी तरफ आकर्षित किया होगा।

LightTravelAction के हिंदी ट्रेवल ब्लॉग से कुछ और अनोखी जगह।

भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित, तुगलकाबाद किले ने अतीत में बहुत शानदार दिन देखे होंगे, लेकिन समय के साथ इसकी शान कुछ जल्दी ही फ़ीकी पड़ गई और ये बस एक खण्डर बन के रह गया। दिल्ली के अभिश्रापित तुग़लकाबाद किले का इतिहास

वाराणसी-भारत के आध्यात्मिक शहर में आप क्या उम्मीद कर सकते हैं?

कुछ समय पहले ही मुझे मेरे जन्म स्थान कश्मीर और ज्ञानियों की नगरी काशी के आपस के संबंध के बारे में पता चला। इस ने मेरी रुचि को बढ़ा दिया और वाराणसी के बारे में और जाने की मेरी इच्छा बढ़ती गई। जैसे-जैसे मैं इस नगरी के बारे में और जानती गई, मैं इसकी ओर खिंचती चली गई। क्या यह एक धार्मिक जगह है या एक ऐतिहासिक जगह? आध्यात्मिक या शैक्षिक? जल्द ही मुझे ये सब पता चलने वाला था और इसके अलावा बहुत कुछ और भी।अगर आप बनारस जाने का प्लान कर रहे हों तोह इस पोस्ट को जरूर पढ़िएगा. उम्मीद करती हूँ मेरे ट्रेवल टिप्स आपके काम आएंगे #lighttravelaction #hindi #hindiblogpost #indiatravel #incredibleindia #वाराणसी #वाराणसीदर्शनीयस्थल #सारनाथदर्शनीयस्थल #बनारसकीमशहूरचीज

बनारस की गलियों में घूमना आपकी सभी संवेदनाओं को जगा देगा, चाहे वो यहां के दृश्य हों, आवाजें हों या स्वाद हो।

आप को एक ही समय पर गाय और कांवड़ देखने, श्लोक और शोरगुल सुनने, लस्सी पीने और पान खाने का मौका मिलेगा।

various ghats of kashi as seen from a boat ride in varanasi
The city of Kashi is famous for the shrine of Kaal Bhairav (the guardian god).

साथ ही बेहद खूबसूरत घाट, मंदिर और पुरानी इमारतों की शिल्प कला को निहारने का अवसर भी मिलेगा।

यहां की हर गली संस्कृत विद्यार्थियों के मंत्रोच्चार, मंदिरों के घंटियों की आवाज और ‘हर हर महादेव’ के उद्घोष के साथ ऊर्जा से भरी और जीवंत है।

यही मौसम कांवड़ियों अथवा भगवा चोला में शिव भक्तों द्वारा अपने कांवड़ ( गंगाजल को सुरक्षित रख कर लाने के लिए बर्तन और लकड़ी) के साथ नंगे पांव यात्रा करने का है। बनारस उस वक्त कांवड़ियों से अटा पड़ा था।

kanwariyas who are devotees of shiva can be seen bathing in safron robes in the holy water of the ganges

अगर मैं दिल्ली में होती तो पक्का इस भीड़भाड़ से दूर रहती पर बनारस के कांवड़ियों की भीड़ में भी एक शांत भाव था।

इतने सारे लोगों की भीड़-भाड़ के बावजूद भी पर्यटक और तीर्थयात्री सब आराम से थे। शायद हम सब ही कृतज्ञता के इस भाव से भरे हुए थे कि हम बनारस में हैं।

इस शहर ने जैसे मुझे बांध लिया था और मुझे यहां की हर चीज़ प्यारी लगी। इस यात्रा की शुरुआत में ही मैंने तय कर लिया था कि मैं भीड़ भाड़, गोबर और यहां के ठगों से खुद को परेशान नहीं होने दूँगी।

Woman dressed in blue kurta standing in a boat looking at the Kanwariyas bathing in the ganges

जिस शहर में रोज़ हजारों लोग आते हैं वहां ऐसा होना बेहद आम सी बात है। आश्चर्य की बात ये रही कि वाराणसी मुझे भारत के साफ सुथरे शहरों में से एक लगा। हर दुकानदार के पास कूड़ेदान था और प्लास्टिक का बिल्कुल उपयोग नहीं था।

घाट भी बिल्कुल साफ-सुथरे थे और आम लोगों ने गंगा आरती के सामने गंगा और वाराणसी को साफ रखने का प्रण लिया था। 

ईश्वर की इस नगरी में सब कुछ अच्छा ही था बिल्कुल उस बनारसी पान की तरह जो हमने अपनी इस यात्रा के अंत में खाया था।

LightTravelAction के हिंदी ट्रेवल ब्लॉग से कुछ और अनोखी जगह।

इस ब्लॉग पोस्ट में मैं आपको 8 ऐसे सुन्दर स्थानों के बारे में बताऊंगी जिनके बिना आपकी मेघालय यात्रा अधूरी है। इन में सुप्रसिद्ध शिलांग, चेरापूंजी के साथ साथ कुछ कम जानी पहचानी जगहें भी शामिल हैं जैसे कांगथोंग। तो जल्दी से अपनी डायरी उठाइये उन स्थानों के नाम उकेरने के लिए जहाँ आप ये ब्लॉग पढ़ने के बाद जाने के लिए आतुर हो उठेंगे। मेघालय के 8 अद्भुत पर्यटक स्थल जो आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे

वाराणसी को एक पवित्र स्थान क्यों माना जाता है?

इसके पीछे की कहानी कुछ इस प्रकार है कि शिव भगवान ने ब्रह्मा, जोकि संसार को रचने के बाद अहंकार में आ गए थे, का अंत करने के लिए भैरव का रूप लिया। इसकी वजह से उन्हें ‘ब्रहमहत्या’ मतलब संसार को रचना वाले की हत्या का पाप लगा। 

आखिर में शिवजी गंगा के साथ कैलाश से दक्षिण की तरफ उतरे। एक स्थान पर नदी उत्तर की तरफ मुड गई जहां पर उन्होंने नदी में अपना हाथ डाला और वे ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो गए।

View of the Ghats of Varanasi in Uttar Pradesh
A visit to Varanasi is not complete without gliding through the waters of the Ganges

यह जगह बाद में ‘अविमुक्ता’ ( मुक्ति का स्थान) की नगरी के नाम से प्रसिद्ध हुई।

ऐसी अवधारणा है कि यदि किसी की मृत्यु काशी में होती है तो वह जन्म मरण के फेर से मुक्त हो जाता है और दोबारा जन्म नहीं लेता। इसी वजह से हजारों लोग वाराणसी में अपनी अंतिम सांसें लेने के लिए आते हैं और अपने अंतिम संस्कार यही किए जाने की इच्छा प्रकट करते हैं।

बनारस जाना फिर से स्कूल जाने जैसा था, बस ये स्कूल से कुछ ज्यादा मज़ेदार था।

हम बिल्कुल स्कूली बच्चों की तरह बर्ताव करते हुए सीख को मौज मस्ती में लपेट कर ज्ञान बटोर रहे थे। ये सब इतिहास, रहस्य, संस्कृति, दर्शन और धर्म में एक ‘क्रैश कोर्स’ के जैसा था।

हालांकि अभी भी बहुत कुछ जानना और सीखना बाकी है जो मैं दोबारा आने पर ज़रूर करुंगी। मुझे यकीन है कि अगली बार मुझे एक नया बनारस दखने को मिलेगा जिसे मैंने पहले नहीं देखा होगा।

Woman on boat at Assi ghat Varanasi Uttar Pradesh
The Mystery of Life, death, and afterlife!

और इस यात्रा में बहुत कुछ ऐसा था जिसने मेरे लिए एक नई दुनिया के द्वार खोल दिए। यदि सही तरीके से प्लान किया जाए तो अब मुझे कम समय में सार्थक यात्राएं करना संभव लगता है। 

किसी शहर को सही से जानने और घूमने के लिए पैदल चलने से बेहतर कोई और विकल्प नहीं है। स्थानीय लोगों से बातचीत करना जानकारी प्राप्त करने का सबसे बढ़िया रास्ता है। अपने आराम और सुरक्षा से समझौता किए बिना, कम खर्चे में घूमना भी संभव है।

बनारस के बाद अब मेरी बकेट लिस्ट में और नाम शामिल होने जा रहे हैं।

इस में बहुत सी यात्राएं शामिल हैं। कुछ मैं अकेले करना चाहती हूं, जयपुर अपनी बेटी के साथ, धरमशाला अपने बेटे के साथ, एक यात्रा अपनी बहन के साथ गोवा की और एक अपने पति के साथ कश्मीर.. देखते हैं आगे क्या होता है।

फिलहाल तो मैं  अभी तक अपने बनारस के अनुभव में ही डूबी हुई हूं।

कुछ समय पहले ही मुझे मेरे जन्म स्थान कश्मीर और ज्ञानियों की नगरी काशी के आपस के संबंध के बारे में पता चला। इस ने मेरी रुचि को बढ़ा दिया और वाराणसी के बारे में और जाने की मेरी इच्छा बढ़ती गई। जैसे-जैसे मैं इस नगरी के बारे में और जानती गई, मैं इसकी ओर खिंचती चली गई। क्या यह एक धार्मिक जगह है या एक ऐतिहासिक जगह? आध्यात्मिक या शैक्षिक? जल्द ही मुझे ये सब पता चलने वाला था और इसके अलावा बहुत कुछ और भी।अगर आप बनारस जाने का प्लान कर रहे हों तोह इस पोस्ट को जरूर पढ़िएगा. उम्मीद करती हूँ मेरे ट्रेवल टिप्स आपके काम आएंगे #lighttravelaction #hindi #hindiblogpost #indiatravel #incredibleindia #वाराणसी #वाराणसीदर्शनीयस्थल #सारनाथदर्शनीयस्थल #बनारसकीमशहूरचीज
कुछ समय पहले ही मुझे मेरे जन्म स्थान कश्मीर और ज्ञानियों की नगरी काशी के आपस के संबंध के बारे में पता चला। इस ने मेरी रुचि को बढ़ा दिया और वाराणसी के बारे में और जाने की मेरी इच्छा बढ़ती गई। जैसे-जैसे मैं इस नगरी के बारे में और जानती गई, मैं इसकी ओर खिंचती चली गई। क्या यह एक धार्मिक जगह है या एक ऐतिहासिक जगह? आध्यात्मिक या शैक्षिक? जल्द ही मुझे ये सब पता चलने वाला था और इसके अलावा बहुत कुछ और भी।अगर आप बनारस जाने का प्लान कर रहे हों तोह इस पोस्ट को जरूर पढ़िएगा. उम्मीद करती हूँ मेरे ट्रेवल टिप्स आपके काम आएंगे #lighttravelaction #hindi #hindiblogpost #indiatravel #incredibleindia #वाराणसी #वाराणसीदर्शनीयस्थल #सारनाथदर्शनीयस्थल #बनारसकीमशहूरचीज

This post was originally written in English by Bhavna Bhat and can be read by clicking here. This post has been translated in Hindi by Amandeep Kaur.

Post in Marathi – हिमालय पर्वत श्रृंखलेत वसलेलं,उत्तराखंड च्या पिथोरागड जिल्ह्यातील मुंसियारितील ‘मेसर कुंड’हे एक दिवसाच्या फेमिली ट्रेक करिता परफेक्ट डेस्टिनेशन आहे.

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