खूबसूरत पहाड़ों और हरियाली से भरपूर मेघालय प्रकृति के छिपे ख़ज़ानों में से एक है।
इस ब्लॉग पोस्ट में मैं आपको 8 ऐसे सुन्दर स्थानों के बारे में बताऊंगी जिनके बिना आपकी मेघालय यात्रा अधूरी है। इन में सुप्रसिद्ध शिलांग, चेरापूंजी के साथ साथ कुछ कम जानी पहचानी जगहें भी शामिल हैं जैसे कांगथोंग। तो जल्दी से अपनी डायरी उठाइये उन स्थानों के नाम उकेरने के लिए जहाँ आप ये ब्लॉग पढ़ने के बाद जाने के लिए आतुर हो उठेंगे।
यूँ तो भारत के पूर्वोत्तर में बसे राज्य मेघालय की यात्रा हम ने 2004 में भी की थी पर उस समय हम मेघालय का प्रसिद्ध ‘रुट ब्रिज’ या ‘ जीता जागता पुल’ नहीं देख सके थे और न ही 2017 में तैयार हुआ वाह खेन का ‘बम्बू ब्रिज’।
चूँकि हम सर्दियों में मेघालय का सौंदर्य पहले ही निहार चुके थे, इस बार हम नें मानसून में घिरे ‘मेघों के घर’ का अनुभव करना की सोची। बच्चों को ये मनमोहक जगह दिखाने की इच्छा भी एक वजह थी।
अगर आप ये सोच रहे हैं कि किन जगहों पर घूमने चला जाये जिस से आप अपने पैसों की पूरी कीमत वसूल कर सकें तो सबसे ज़रूरी है कि आप अपनी यात्रा की प्लानिंग और तैयारी बहुत पहले से ही शुरू कर दें।
कुछ ख़ास दिनों और त्योहारों के दौरान फ्लाइट टिकट और होटल 3-4 महीने पहले से ही बुक होने शुरू हो जाते हैं।
मेघालय दर्शन की अधिक जानकारी के लिए मुझे ईमेल लिखें।
You can reserve your ticket and plan your trip to Meghalaya with me and relax knowing that my trusted team will take good care of a fellow wanderlust traveler. FOR DETAILS EMAIL at richa@lighttravelaction.com
मैं एक ऐसा फैमिली ट्रिप चाहती थी जो कुछ हटके तो हो पर जिस में उस जगह के ख़ास और लोकप्रिय स्थान भी न छूटें, जो बच्चों के अनुकूल हो पर उत्तेजित करने वाला भी हो। जहाँ कुछ ऐसी अनोखी चीज़ें भी हों जिन से बच्चे प्रेरित हों और ‘रेस्पोंसिबल टूरिज्म’ के बारे में और समझ सकें।
ज़ाहिर सी बात हैं कि जब मैंने और मेरे पति ने मिल कर मनमोहक, खूबसूरत और जादुई, बादलों से घिरे मेघालय की यात्रा का पूरा प्लान बना लिया तो मैं इसे लेकर बहुत उत्साहित थी ।
बच्चों से हुई मेरी बातचीत कुछ यूँ थी –
मैं (पूरे उत्साह के साथ)- “अरे वाह! हम लोग मेघालय जा रहे हैं!”
बच्चों के चेहरों पर मुझे कोई भाव नज़र नहीं आता
मैं (दोबारा कोशिश करती हूँ)- “मेघालय मतलब बादलों का घर , मज़ेदार होगा न?”
एक ने हैरानी से मेरी तरफ देखा पर दूसरे का ध्यान अभी भी अपनी किताब में ही है
मैं (आख़िरी हथियार डालते हुए) – “वहां जीते जागते पुल हैं!”
बेटा – “जीते जागते?”
बेटी- “मतलब जो बढ़ते हैं और साँस भी लेते हैं?”
मैं (जैसे कोई राज़ खोलते हुए) – “हाँ!”
बेटा – “वाह!”
बेटी- “ये तो एक्स- मैन फिल्म जैसा लग रहा है’’
घुमक्कड़ी के बारे में ये बात मुझे बेहद पसंद है कि ये अलग अलग लोगों को अलग अलग तरीके से उत्तेजित करती हैं! एक्स-मैन हो या कुछ और, मुझे तो बस इस बात की ख़ुशी थी की इस सफ़र के लिए हम सब राज़ी थे !
हम चारों के साथ इस सफर पर साथ था मेरी बहन का चार सदस्यों का परिवार !

मेघालय इटिनेररी Meghalaya Itinerary
हमारी 8 दिन मेघालय यात्रा का कुछ हट के, कुछ आम और ज़िम्मेदार पर्यटन वाला कार्यक्रम
पहला दिन – गुवाहाटी पहुंचना – शिलांग जाना – रात का पड़ाव शिलांग में
दूसरा दिन – शिलांग – वाहखेन- बंबू ब्रिज ट्रैक – रात का पड़ाव पायनूरस्ला ( साहसी ट्रेक)
तीसरा दिन – पायनूरस्ला – दावकी – नोहवेत का रूट ब्रिज – (मावलिनॉन्ग एशिया का सबसे स्वच्छ गांव) – रात का पड़ाव मावलिनॉन्ग ( ज़िम्मेदार पर्यटन)
चौथा दिन – मावलिनॉन्ग – सोहरा/चेरापूंजी (कुछ जाना पहचाना, कुछ नया)
पांचवा दिन – सोहरा – कांगथोंग (सुरीला गांव) (कुछ हटके)
छठा दिन -कांगथोंग – शिलांग (जाने पहचाने रास्ते)
सातवा दिन – शिलांग से पबित्रो वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी (राइनो स्पॉटिंग)
आठवां दिन – पबित्रो से गुवाहाटी एयरपोर्ट और घर वापसी
शिलांग Shillong कैसे पहुंचे?
चाहे आप फ्लाइट से आना चाहें या ट्रेन से, असम का गुवाहाटी शहर ही मेघालय पहुंचने का सबसे सही रास्ता है।
मेघालय गुवाहाटी एयरपोर्ट से तकरीबन 115 किलोमीटर यानी कि तकरीबन 3 घंटे की दूरी पर है।
Shillong के लिए टैक्सी
गुवाहाटी एयरपोर्ट से आप आसानी से कामाख्या रेलवे स्टेशन या पलटन बाजार गुवाहाटी रेलवे स्टेशन के लिए कैब ले सकते हैं।
यहां से प्राइवेट और शेयर्ड दोनों तरीके की कैब्स आसानी से उपलब्ध हैं। हमने गुवाहाटी एयरपोर्ट से शिलांग जाने के लिए पहले से ही ओला कैब बुक कर ली थी जिस पर तकरीबन ₹2500 खर्च हुए।
आप चाहे तो एयरपोर्ट से ही कैब बुक कर सकते हैं और थोड़ी बहुत बातचीत से आप इसकी कीमत घटाकर ₹2200 तक ला सकते हैं।
आप चाहे तो ज़ूम कार भी किराए पर ले सकते हैं जिसे ऑनलाइन बुक किया जा सकता है।
बादलों के घर मेघालय में हमारी यात्रा की एक झलक
शिलांग
पूर्व की खासी पहाड़ियों के बीच छुपा हुआ शिलांग, जिसे की ‘पूर्व के स्कॉटलैंड’ के नाम से भी जाना जाता है, मेघालय की राजधानी है। शांति और चहल-पहल का मिलाजुला सा रूप शिलांग एक पहाड़ी शहर है जो लोअर शिलांग, अप्पर शिलांग और शिलांग पीक में बंटा हुआ है।

शिलांग में आप क्या-क्या कर सकते हैं
शिलांग घूमने का सबसे बेहतर तरीका है कि आप इस शहर को पैदल नापें। शिलांग को यूं ही भारत की ‘रौक कैपिटल नहीं कहा जाता। डॉन बॉस्को स्क्वायर पर कोई जैमिंग सेशन या किसी लोकल कैफे में चल रहा कोई म्यूजिक सेशन यहाँ पर बहुत आम नज़ारा है।

अगर आप शांति और सहजता की तलाश में हैं तो आपको कैपिटल कैथोलिक चर्च जरूर जाना चाहिए। बोटिंग के लिए वार्डस लेक और बच्चों के साथ घूमने के लिए यहां आपको ढेर सारे म्यूजियम मिल जाएंगे जैसे कि एयरफोर्स म्यूजियम, राइनो हेरीटेज म्यूजियम।

शहर की भीड़भाड़ से बचने के लिए एलिफेंट फॉल्स और उमियाम लेक बेहद ही खूबसूरत विकल्प हो सकते हैं।

और अगर आपका मन कुछ हटके अनुभव करना चाह रहा हो तो आर्चरी गैंबलिंग, जिसे ‘सिअत खनं’ कहा जाता है, देखना या इसमें भाग लेना बेहद दिलचस्प अनुभव हो सकता है। इस खेल में जितने भी तीर पहले राउंड में लक्ष्य को भेदते हैं उनके आखिरी दो अंक से ही बैटिंग की दुकानों पर जीतने वाले नंबर का निर्णय किया जाता है।
शिलांग में कहां ठहरें
यदि आप शिलांग में रहने के लिए एक सस्ता ठिकाना ढूंढ रहे हैं तो आप शिलांग डारमेट्री जा सकते हैं। यहां पर आपको 24 घंटे रन टेस्ट शटल सर्विस, रूम सर्विस और फ्री वाई-फाई की सुविधा मिलेगी। इसके बारे में अधिक जानकारी, रिव्यूज, उपलब्धता और मूल्य के लिए यहां पर क्लिक करें।
यदि आप यहां रहकर आराम करना चाहते हैं तो आप रि किंजई सेरेनिटी बाय द लेक में ठहर सकते हैं। 43 एकड़ की हरियाली में फैली हुई यह जगह साफ पानी वाली उमियाम लेक से तकरीबन 2.5 किलोमीटर दूर है। यहां से गुवाहाटी रेलवे स्टेशन 75 किलोमीटर की दूरी पर है और गुवाहाटी एयरपोर्ट 105 किलोमीटर दूर है। अधिक जानकारी, रिव्यूज, उपलब्धता और मूल्य के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं।
हमने अपने ठहरने के लिए औरा कॉटेज को चुना जो कि परिवार के ठहरने के लिए बढ़िया बजट होमस्टे है। इसके लिए हमारा एक कमरे का खर्चा ₹2000 प्रति रात्रि था।

यहाँ की सबसे अच्छी बात यह है कि यह बहुत ही बढ़िया जगह पर स्थित है और आसपास की बहुत सारी जगहों पर आप आसानी से पैदल ही घूम सकते हैं।
एक और किफायती ठहरने की जगह जहां हम रुके थे वह है मैरी गर्ल्स हॉस्टल। ये एक गर्ल्स हॉस्टल है जहां पर एक तरफ हॉस्टल और दूसरी तरफ टूरिस्टस के लिए दो कमरे हैं।

डॉली, जो कि यहां की मालकिन हैं, उनका स्वभाव बहुत ही अच्छा है। वैसे यह होमस्टे बहुत ही साधारण है पर अकेले सफर करने वाली महिलाओं के लिए यह बहुत ही उपयुक्त और किफायती है।
यहां एक व्यक्ति के लिए रहने और नाश्ते का खर्च ₹450 है।
यह लैतुम्ख्राह में स्थित है जो कि कॉलेज क्षेत्र और सस्ते ढाबों के बहुत नज़दीक है ।
शिलांग में कहां खाए
आपकी उम्र कितनी भी हो डायलन्स कैफे का वातावरण आपको ज़रूर पसंद आएगा। विश्व-प्रसिद्ध गीतकार एवं गायक बॉब डायलन को श्रद्धांजलि देता ये पूर्वोत्तर भारत का पहला केफै है। कुछ बढ़िया समय बिताने के लिए आप यहाँ आ सकते हैं।

अगर आप खासी और पूर्वोत्तर राज्यों के पकवानों में रुचि रखते हैं तो लैतुम्ख्राह आपके लिए सही जगह है।
U Mawryngkhang Bamboo Trek यू मॉरिंगखांग बम्बू ट्रेक- जो कमजोर दिल वालों के लिए हरगिज़ नहीं है

वाह खेन ट्रेक बेहद रोमांचकारी ट्रेक्स में से एक है।
हमें बच्चों के साथ यात्रा करना और ट्रैकिंग पर जाना पसंद है ।बच्चे पहले भी अनेक ट्रेक्स कर चुके हैं। हमारे मुंसियारी के मेसर कुण्ड ट्रेक के बारे में आप यहाँ क्लिक कर के पढ़ सकते हैं।

U Mawryngkhang Bamboo Trek की शुरुआत एक झाड़ू की तीलियों वाले फार्म के ऊपर बंबू ब्रिज से होती है जो अंत में आपको खूबसूरत नीले पानी के प्राकृतिक तालाबों की तरफ ले जाता है।जल्द ही आप खुद को एक ऐसे ब्रिज पर पाते हैं जोकि एक बहुत ही बड़े पत्थर की बगल में झूल रहा है और जिसके नीचे बहुत ही गहरी खाई है।

इसमें कोई शक नहीं कि ये ट्रैक रोमांचकारी और डरा देने वाला दोनों ही था जो कि हमें यू मॉरिंगखांग पहाड़ चढ़ने की तरफ ले गया। मॉरिंगखांग का अर्थ है ‘पत्थरों का राजा’।
मेरे बच्चे, भांजा और भांजी की उम्र 10 से 13 साल के बीच में है और उन सब ने यह पूरा ट्रेक 3 घंटे में पूरा कर लिया।

इस ट्रेक से हुई थकावट को मिटाने के लिए आप चाहें तो वहां प्राकृतिक तालाब में छलांग लगा सकते हैं। यदि आप सामान्यतः स्वस्थ हैं और आपको रोमांच पसंद है तो आपको यह ट्रैक जरूर करना चाहिए।
ट्रेक को पूरा करने में लगने वाला समय– आपकी शारीरिक तंदरुस्ती और रास्ते में लिए गए ब्रेक्स पर निर्भर करते हुए इस ट्रेक में 2 से 3 घंटे लग सकते हैं।
शिलांग से दूरी- वाह खेन गांव मेघालय के पूर्व खासी पहाड़ी जिले की पायनूरस्ला तहसील में है। यह शिलांग से 42 किलोमीटर की दूरी पर है।
U Mawryngkhang Bamboo Trek कहां ठहरें

हम पायनूरस्ला के एक बजट होम स्टे में रुके। इसका खर्चा प्रति कमरा प्रति रात्रि के हिसाब से ₹1200 है। यह बहुत ही साधारण होमस्टे है।
U Mawryngkhang Bamboo Trek क्या खायें
वाह खेन और पायनूरस्ला दोनों ही बहुत छोटे से गांव हैं इसलिए यहां पर खाने के विकल्प बहुत सीमित है। यदि आप शुद्ध शाकाहारी हैं तो मैं सलाह होगी कि आप अपने साथ खाखरा या थेपला जैसा कोई शाकाहारी खाना साथ रखें।
यदि आप पोर्क खाते हैं तो आपकी किस्मत बहुत अच्छी है क्योंकि यहां पर ज्यादातर स्थानीय खाने की जगहों पर ये बेहद आसानी से उपलब्ध है।
बस यह याद रखिए खाने के स्थानों के नाम पर यहां पर से सड़क के किनारे बने छोटे ढाबे ही हैं। यहां आपको कोई रेस्तरां नहीं मिलेगा।
U Mawryngkhang : The King of stones Video
“For any avid traveler, trekking the stony route, lined with broomsticks and other trees, to ‘U Mawryngkhang’ situated in a gorge at Wahkhen village will be a delight.” – Life Unearth.
डॉकी / उमंगोट नदी
एक साधारण पुरानी सी नाव, शीशे सा चमकता साफ पानी और ठंडी हवा, इनसे ही उमंगोट नदी का जादुई स्वर्ग जैसा माहौल बनता है।

और एक खास बात यह है कि डॉकी बांग्लादेश सीमा पर भारत का आखिरी गांव है, इसलिए यहां पर बहुत से सैलानिओं का आना-जाना लगा रहता हैं।

एक और दिलचस्प बात यह है कि उमंगोट नदी का पानी भारत की तरफ हरा और बांग्लादेश की तरफ हल्का नीले रंग का है।
नाव का सफ़र कर के हम लोग एक छोटे से द्वीप पर पहुंचे जहां पर बच्चों ने खूब मौज मस्ती की।

डॉकी / उमंगोट नदी: शिलांग से दूरी
बढ़िया रहेगा अगर आप 3-4 दिन के लिए एक कैब बुक कर लें और बारी बारी इन सभी जगहों पर घूमें।
डॉकी / उमंगोट नदी कैसे पहुंचे
यदि ज़्यादा खर्चा नहीं करना चाहें तो शिलांग से डॉकी के लिए शेयर्ड कैब, पब्लिक बस भी ले सकते हैं।
डॉकी / उमंगोट नदी कहां ठहरे
हमने मौलिन्नोंग में ठहरने का निर्णय लिया जो कि डॉकी से तकरीबन 35 किलोमीटर या डेढ़ घंटे की दूरी पर है। मौलिन्नोंग एशिया का सबसे साफ गांव है।
यदि आपकी रुचि वाटर स्पोर्ट्स में है तो आप श्नोंगपदेंग के किसी होमस्टे में भी रह सकते हैं जो कि दावकी से तकरीबन 7 किलोमीटर दूर है।
डॉकी / उमंगोट नदी कहां खाए

डॉकी से नोह्वेत के रूट ब्रिज की तरफ जाते हुए हम रास्ते में खाने के लिए ‘परीज़ फूड सेंटर’ पर रुके। यहां पर आपको खासी भोजन नहीं मिलेगा पर यहां पर बढ़िया चाइनीस खाना ज़रूर मिलता है।
जीता-जागता रूट ब्रिज / The Living Root Bridge
थाइलांग नदी के ऊपर बना हुआ यह 180 साल पुराना जीता जागता जड़ों का पुल (living root bridge) नोह्वेत गांव को लिंग़खत बाजार और इस क्षेत्र के पूर्वी हिस्से के गांव वालों की खेती-बाड़ी की जमीनों से जोड़ता है।

यह 30 मीटर लंबे जीते जागते रूट ब्रिज ‘फिकस इलास्टिका’ या ‘इंडियन रबर ट्री’ से बनाए गए हैं जो कि इस नदी के दोनों तरफ 1840 में लगाए गए थे।
स्थानीय भाषा में इस पुल को ‘जिंग किएंग जरी’ कहा जाता है। 30 मिनट तक की ढलान पार करते हुए यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। ऊपर जाने का रास्ता थोड़ा थका देने वाला है जिसमें तकरीबन 40 मिनट लग जाते हैं।

यहाँ की स्वच्छता बनाये रखने के लिए जगह-जगह बम्बू के कूड़ेदान लगाए गए हैं।
Living Root Bridge शिलांग से दूरी
नोह्वेत गांव शिलांग से तकरीबन 75 किलोमीटर या ढाई घंटे की दूरी पर स्थित है। यह पायनूरस्ला के दक्षिण हिस्से के पूर्वी रिवार के सबसे बड़े गांवों में से एक है। डॉकी से नोह्वेत पहुंचने में तकरीबन 1 घंटे का समय लग जाता है।
क्योंकि नोह्वेत रूट ब्रिज सैलानियों के बीच बहुत लोकप्रिय है इसलिए यहां के रास्तों पर अक्सर भीड़-भाड़ हो सकती है।
Nohwet Living Root Bridge कैसे पहुंचे
यहां घूमने के लिए पूरे दिन के लिए कैब लेना बढ़िया रहेगा।
यदि ज़्यादा खर्चा नहीं करना चाहें तो शिलांग से नोह्वेत पहुंचने के लिए शेयर्ड कैब, पब्लिक बस भी ले सकते हैं।
Nohwet Living Root Bridge कहां ठहरे
हम नोह्वेत से तकरीबन 18 किलोमीटर या 50 मिनट की दूरी पर मौलिन्नोंग में रुके थे।
यदि आप नोह्वेत के ग्रामीण जीवन का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो आप नोह्वेत के किसी होमस्टे में भी रुक सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।
Nohwet Living Root Bridge कहां खायें
ब्रिज की तरफ जाने वाले रास्ते में बहुत सारी दुकानों में बंबू के बने हुए शिल्प और स्थानीय फल बिकते हैं।
एक और दिलचस्प बात यह है कि नोह्वेत के खासी और जयंतिया पहाड़ों में बेहतरीन गुणवत्ता वाली सुपारी ‘अरेका नट्स’ उगाए जाते हैं।
मौलिन्नोंग- एशिया का सबसे स्वच्छ गांव

मौलिन्नोंग एशिया के सबसे स्वच्छ गांव के रूप में प्रसिद्ध है।
इस गांव में प्रवेश करने के लिए आपको ₹50 की प्रवेश शुल्क देना होगा। यहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती और शांति का अनुभव करने के लिए आपको यहां कम से कम एक रात जरूर ठहरना चाहिए।
इस गांव के हरे-भरे बागानों में एक अलग ही शांति और ठहराव है।
यहां के एक ‘माइक्रो वाटर शेड’ में हमने घंटों ठंडे पानी में नहाने का लुफ्त उठाया।

यहां के खूबसूरत ट्रीहाउसेस को देखना न भूलें। यहां दो ट्रीहाउसेस है जो कि निजी संपत्ति हैं। ₹20 का शुल्क दे कर आप यहाँ जा सकते हैं।
मौलिन्नोंग: शिलांग से दूरी
मौलिन्नोंग गांव शिलांग से तकरीबन 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहां पहुंचने के लिए तकरीबन ढाई घंटे का समय लगता है।
मौलिन्नोंग: कैसे पहुंचे

यहां घूमने के लिए पूरे दिन या कुछ दिनों के लिए एक कैब बुक कर लेना बढ़िया रहेगा।
कम खर्च में शिलांग से मौलिन्नोंग जाने के लिए शेयर्ड कैब या पब्लिक बस भी ले सकते हैं ।
मौलिन्नोंग: कहां ठहरें
इस गांव का तकरीबन हर तीसरा घर एक होमस्टे है, इसलिए यहां रुकने की जगह ढूंढना दिक्कत वाली बात नहीं होगी।
मौलिन्नोंग: कहां खाएं
यहां पर कई घरेलू छोटे-छोटे रेस्तरां है जो खासी और शाकाहारी खाना परोसते हैं। बेहतर होगा कि आप उन्हें पहले से ही अपने खाने का ऑर्डर और जानकारी दे दें ताकि वो आपके लिए ज़रूरी सब्जियां या चिकन खरीद कर खाना तैयार कर सके।
मौलिन्नोंग: बैलेंसिंग रॉक

यह बैलेंसिंग रॉक मौलिन्नोंग गांव के बाहरी इलाके में है। एक छोटे पत्थर पर टिकी हुई यह विशालकाय शिला तेज़ बारिश और मौसम की मार के बावजूद यूं ही टिकी हुई है।
यह पत्थर चारों ओर लोहे की सलाखों से घिरे हुए हैं। आसपास बंबू के बागानों के बीच स्थित ये स्थानीय लोगों में ‘मॉ रिंगकू शरतिया’ कहलाता है।
इस जगह को देखने में लगने वाला समय– 5- 10 मिनट
सोहरा (चेरापूंजी)
सोहरा, जिसे चेरापूंजी के नाम से भी जाना जाता है, मेघालय की पूर्वी खासी पहाड़ियों में बसा है। सोहरा मशहूर है अपने झर-झर बहते झरनों और चट्टानों से भरी गहरी घाटियों के लिए।

चेरापूंजी के मॉकडोक मैं ज़िपलाइनिंग कर के ऊंचाइयों के अपने डर पर काबू पाईये । हमारे छोटे सिपाहियों ने इसका रोमांच महसूस किया 1200 सौ फीट की ऊंचाई पर ज़िपलाइनिंग करके। नीचे दिखाई दे रही गहरी खाई किसी को भी डरा देने के लिए काफी थी पर इनके लिए नहीं।
चेरापूंजी: Ziplining ज़िपलाइनिंग का खर्च

- छोटी लाइन – ₹400 प्रति व्यक्ति ( लंबाई 1089 फीट)
- बड़ी लाइन – ₹800 प्रति व्यक्ति (लंबाई 2600 फीट)
मैं आपसे लैटमॉसियंग गांव की गुफाओं (गार्डन ऑफ़ केव्स) में जाने को जरूर कहूंगी जो कि सोहरा के बाहरी इलाके में है।

इस कस्बे के आसपास बड़े पत्थरों (मोनोलिथ) पर नजर दौड़ाना ना भूलें।

मॉस्मई गुफा
सोहरा से थोड़ी ही दूर स्थित है अँधेरी, संकरी, चूना पत्थर की गुफाएं जिन्हें मॉस्मई कहते हैं। यदि आपको संकरी जगहों का डर नहीं है तो यह गुफाएं बहुत ही दिलचस्प जगह है देखने के लिए।

हां बस अंदर जाने से पहले इसे देखना ना भूलें।

रामाकृष्ण मिशन म्यूज़ियम
यदि आपकी दिलचस्पी संग्रहालयों (म्यूज़ियम) और आदिवासी कलाकृतियों में है तो आपको चेरापूंजी के रामाकृष्ण मिशन के एक कमरे के इस म्यूजियम में ज़रूर जाना चाहिए।
सोहरा: शिलांग से दूरी
सोहरा शिलांग से तकरीबन 55 किलोमीटर की दूरी पर है, जहां पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से तकरीबन 2 घंटे का समय लगता है। गुवाहाटी से इसकी दूरी 150 किलोमीटर है और इस दूरी को तय करने में तकरीबन साढे 4 घंटे लग जाते हैं।
सोहरा: शिलांग से कैसे पहुंचें
बेहतर होगा कि आप पूरे दिन या कुछ दिनों के घूमने के लिए एक गाड़ी किराए पर ले लें।
शेयर्ड कैब या पब्लिक बस लेकर भी शिलांग से सोहरा पहुंच सकते हैं जो कि किफ़ायती है।
सोहरा: कहां ठहरें
सोहरा या चेरापूंजी में बहुत सारे होमस्टेस हैं और आप चाहे तो आराम से वहां पहुंच कर अपने पसंद के मुताबिक रुकने की जगह चुन सकते हैं।
सोहरा: कहां खायें
यहां बहुत से छोटे घरेलू रेस्तरां हैं जहाँ खासी, शाकाहारी और मांसाहारी खाना उपलब्ध है। यहां पोर्क आसानी से मिल जाता है। शाकाहारी लोगों के लिए अधिकतर सब्जी और दाल चावल तकरीबन हर जगह मिल जाते हैं।
कोंगथोंग- सुरीला गांव / Kongthong – the whistling village
नाम में क्या रखा है? गुलाब को किसी भी नाम से बुलाया जाए वह उतनी ही अच्छी सुगंध देता है।

इस बात की गहराई का एहसास मुझे कब हुआ जब मैंने मेघालय के कोंगथोंग गांव में लोगों को एक दूसरे को बुलाने के लिए सुरीली सीटी की आवाज करते हुए पाया।
अगर आप लीक से हट के कुछ अनुभव करना चाहते हैं जहां आप स्थानीय संस्कृति में घुल-मिल सकें तो आपको कोंगथोंग मैं कम से कम एक रात जरूर रुकना चाहिए। यहाँ के लोग बहुत शर्मीले हैं।

यहां के एक बहुत ही पुराने रिवाज के अनुसार हर बच्चे को उसके पैदा होने के समय उसकी मां द्वारा एक खास धुन दी जाती है।
इसे ‘जिंगरवाई लॉबिइ’ कहते हैं, जो उनका नाम बन जाती है।
लंबी धुन का इस्तेमाल जंगल में किसी व्यक्ति को आवाज देकर बुलाने के लिए किया जाता है जबकि छोटी वाली धुन का इस्तेमाल गांव में किया जाता है।
Kongthong: शिलांग से दूरी
कोंगथोंग शिलांग से 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जहां सड़कों की ख़राब हालत की वजह से पहुंचने में लगभग 3 घंटे लग जाते हैं।
कोंगथोंग: कहां रुके और खाएं
सोहरा और पिनूरसला के बीच में बसा हुआ ‘कांगथोंग ट्रैवलर्स नेस्ट’ को इंडीजीनस एग्रो टूरिज्म कोऑपरेटिव सोसाइटी द्वारा बढ़ावा दिया जाता है।

यहां दो कच्चे घर हैं जिनके अंदर चिमनी (फायरप्लेस) है। यदि आप समय से या तकरीबन 6 घंटे पहले आर्डर करते हैं तो आपकी पसंद के मुताबिक सामान खरीद कर खाना तैयार कर दिया जाता है।
कोंगथोंग: मेहमानों के लिए गतिविधियां /आकर्षण
ट्रैकिंग, मछली पकड़ना, कैंपिंग इत्यादि
- स्थानीय संपर्क – श्री रोथेल खोंगसित, चेयरमैन
- फ़ोन +91-9856 060 347
- पता- इंडीजीनस एग्रो टूरिज्म कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड खतरष्णोंग , सोहरा
मेघालय घूमने के लिए कुछ टिप्स Meghalaya Travel tips
- यह मेघालय टूरिज्म की आधिकारिक वेबसाइट है।
- हिंदी और अंग्रेजी, दोनों ही भाषाएं मेघालय में अधिकांश बोली जाती हैं सिर्फ कुछ सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों को छोड़कर जहां पर आप इशारों से काम चला सकते हैं।
- यहां के लोग बहुत ही मददगार हैं। मुझे याद है के वाह खेन के एक ट्रेक के दौरान एक औरत सड़क के पास के ढाबे पर काफी देर तक रुकी रही ताकि वह हमारा ऑर्डर रेस्तरां के मालिक को सही से समझा सके और बिल इत्यादि के बारे में हमें अंग्रेजी में बता सके। उस ढाबे के मालिक को जब पता चला कि हम पोर्क नहीं खाते तो उसने हमें वह खाना परोसा जो उसने खुद के लिए बनाया था ।
- सबसे महत्वपूर्ण टिप- मेघालय में दुकानें और म्यूजियम रविवार को बंद रहते हैं। हमारी सलाह रहेगी कि आप अपनी रविवार की यात्राओं के लिए एक कैब अलग से बुक कर लें ।
मुझे उम्मीद है कि लाइट ट्रैवल एक्शन की यह विस्तृत मेघालय गाइड आपको अपनी यात्रा बेहतर तरीके से प्लान करने में मददगार साबित होगी।


This post was originally published in English and can be read here. This post has been translated by Amandeep Kaur.
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