‘केसरिया बालम पधारो म्हारे देस…’ ये राजस्थान का प्रसिद्ध लोक गीत है। इस गीत में मारु अपने केसरिया बाने वाले राजपूत प्रेमी को युद्ध से वापस लौट आने के लिए बुलावा भेज रही है। मैंने ये कई बार सुना था पर तब कभी ये नहीं सोचा था की यही राजस्थान शादी के बाद मेरा दूसरा घर बनेगा।
जयपुर, भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान की राजधानी है।
यह शहर प्राचीन संस्कृति और आधुनिकता का मिलाजुला खूबसूरत और मनमोहक स्वरूप पेश करता है।
जयपुर शहर महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा 1727 में तब बसाया गया जब आमेर में पानी की कमी और बढ़ती जनसंख्या की वजह से मुश्किलें आनी शुरू हुईं।
जयपुर शहर की संरचना तैयार करने के लिए महाराजा जयसिंह द्वितीय ने विद्याधर भट्टाचार्य और सर सैमुअल स्विंटन जैकब को इस काम के लिए चुना।

यहां की बनावट अधिकतर राजपूत, मुगल और यूरोपियन शैली का मिलाजुला रूप है।
1876 में वेल्स के राजकुमार एवं महारानी विक्टोरिया भारत के दौरे पर आये थे। उस समय महाराजा सवाई रामसिंह द्वितीय ने उनके स्वागत में पूरे जयपुर शहर को गुलाबी रंग से रंगवा दिया था। तब से जयपुर ‘गुलाबी शहर’ के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
अभी भी आपको जयपुर की कई ऐतिहासिक और सरकारी इमारतें टेराकोटा गुलाबी रंग में रंगी हुई दिखाई दे जाएंगी।
जयपुर किन चीजों के लिए प्रसिद्ध है?
जयपुर विभिन्न प्रकार के आभूषणों, कपड़ों, महंगे नगों, जवाहरात, लाख की चूड़ियों और कई तरह के हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है।
हवा महल, सिटी पैलेस, जंतर मंतर, अल्बर्ट हॉल म्यूजियम, बिरला मंदिर, गलता जी मंदिर, नाहरगढ़ किला, आमेर किला, जल महल, आभानेरी आदि कई ऐसी जगह हैं जिनके लिए जयपुर जाना जाता है।
यदि आप जयपुर में है तो आपको इन जगहों पर घूमने का मौका नहीं छोड़ना चाहिए। दिल्ली एवं आगरा के साथ ‘गोल्डन ट्रायंगल’ बनाते 3 शहरों में जयपुर शामिल है। यह तीनों शहर भारत में आने वाले पर्यटकों के बीच खासे लोकप्रिय हैं।
जयपुर भारत के मुख्य टूरिस्ट आकर्षणों में से एक है क्योंकि यहां पर आपको महल, प्राचीन ऐतिहासिक स्थान, मंदिर, संग्रहालय, किले, बाजार और कई तरह के ऐसे स्थानीय अनुभव मिलेंगे जो बार-बार पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।
हालांकि बीतते समय के साथ जयपुर धीरे-धीरे एक आधुनिक शहर में तब्दील हो रहा है लेकिन अपनी कला, संस्कृति और परंपराओं के साथ इसने अपने पुराने जादू को आज भी बरकरार रखा है।
जयपुर में देखने लायक बहुत सी जगहें हैं परंतु मैं आपको यहां पर 15 ऐसे मुख्य आकर्षणों के बारे में बताऊंगी जिससे आप इस खूबसूरत शहर को और बेहतर जान सकेंगे और इसका पूरा मज़ा ले पायेंगे।
हवा महल

हवा महल जयपुर शहर के बीचों-बीच बड़ी चौपड़ में स्थित है। महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने इसे 1799 में बनवाया था। यह बिना नींव की विश्व की सबसे ऊंची इमारत है। 5 मंजिला इस महल में 953 छोटी-छोटी खिड़कियां या झरोखे हैं।
इन झरोखों में से बहती हवा इस महल को हवादार और ठंडा बनाए रखती है। हवामहल लाल और गुलाबी बालू के पत्थरों से, हिंदू और इस्लामिक शैली में बनी इमारत है।
- प्रवेश शुल्क (एंट्री फी)- भारतीय 50 रुपये, विदेशी 200 रुपये
- खुलने का समय- रविवार से शनिवार, सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक
- वेबसाइट- www.tourism.rajasthan.gov.in
- सम्पर्क- 0141-2822863
सिटी पैलेस

सिटी पैलेस को महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा 1729 से 1732 के दौरान बनवाया गया था। महाराजा के मुख्य वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य ने सिटी पैलेस को वास्तुशास्त्र के अनुरूप तैयार किया। महल के प्रवेश द्वारों को ‘पोल’ कहा जाता है।
महल की दीवारों और द्वारों को मुगल शैली के अनुसार विभिन्न प्रकार के चित्रों, जालीदार नक्काशी और शीशों से सजाया गया है। उदय पोल, जलेब चौक, त्रिपोलिया गेट और वीरेंद्र पोल यहां के कुछ प्रसिद्ध द्वार हैं।
महल के अंदर कई संरचनाएं हैं जैसे कि दीवान-ए-खास, चंद्र महल, मुबारक महल और गोविंद देव जी मंदिर। फिलहाल चंद्र महल को एक संग्रहालय का रूप दिया गया है जहां पर अलग-अलग प्रकार के हस्तशिल्प, वस्त्र और पुराने समय की कलाकृतियां रखी गई हैं।
- प्रवेश शुल्क (एंट्री फी)- भारतीय 190 रुपये, विदेशी 500 रुपये
- खुलने का समय- रविवार से शनिवार, सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक
- वेबसाइट- https://royaljaipur.in
- सम्पर्क- 0141-4088888
जंतर मंतर

जंतर मंतर कई अलग-अलग संरचनाओं का एक सम्मिलित रूप है। हर संरचना की कोई ना कोई खास खगोलीय विशेषता या उपयोगिता है।
भारत के किन-किन शहरों में जंतर-मंतर है?
1724 से 1730 के दौरान महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 5 ऐसी संरचनाओं का निर्माण करवाया जो कि उत्तर भारत के नई दिल्ली, जयपुर, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में स्थित हैं। पहला जंतर मंतर दिल्ली में 1724 में बनाया गया और सबसे अंत में 1738 में जयपुर के जंतर मंतर का निर्माण हुआ। मथुरा के जंतर मंतर के अलावा बाकी सभी आम जनता के लिए खुले हुए हैं। मथुरा का जंतर मंतर एक खंडहर बन चुका है।
जयपुर का जंतर मंतर क्यों प्रसिद्ध है?
महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा बनवाए गए पांच जंतर मंतरों में से एक जयपुर का जंतर मंतर सबसे विस्तृत है। इसमें 19 खगोलीय यंत्र शामिल है जिनमें से एक विश्व की सबसे बड़ी पत्थर की सूर्य घड़ी है। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है।
यदि आप यहां घूमने जाएं तो एक गाइड साथ लेना बेहतर रहेगा जिससे आप ये समझ पाएंगे कि सारे यंत्र किस प्रकार काम करते हैं। यह जंतर मंतर सिटी पैलेस के नजदीक ही त्रिपोलिया बाजार में स्थित है।
- प्रवेश शुल्क (एंट्री फी)- भारतीय 50 रुपये, विदेशी 200 रुपये
- खुलने का समय- रविवार से शनिवार, सुबह 9 बजे से शाम 4.30 बजे तक
- वेबसाइट- www.jantarmantar.org
- सम्पर्क- 0141-2706560, 2706503
अल्बर्ट हॉल म्यूजियम

वेल्स के राजकुमार अल्बर्ट एडवर्ड के 1876 में भारत दौरे के वक्त अल्बर्ट हॉल की नींव रखी गई। आर्किटेक्ट सैमुएल स्विंटन जैकब द्वारा 1887 में इसका निर्माण कार्य पूरा करवाया गया। यह राम निवास बाग में स्थित है और इसे गवर्नमेंट सेंट्रल म्यूजियम भी कहा जाता है।
यहां आपको कई प्रकार की कलाकृतियां, मूर्तियां, बर्तन, आभूषण, वस्त्र इत्यादि सामान देखने को मिलेगा। शाम को रंग बिरंगी रोशनी में नहाया हुआ अल्बर्ट हॉल म्यूजियम बेहद खूबसूरत दृश्य पेश करता है। आपको इस वक्त इसकी एक झलक जरूर देखनी चाहिए।
- प्रवेश शुल्क (एंट्री फी)- भारतीय विद्यार्थी 20 रुपये, अन्य भारतीय 40 रुपये, विदेशी विद्यार्थी 150 रुपये, अन्य विदेशी 300 रुपये।
- खुलने का समय- रविवार से शनिवार, सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक ( रख- रखाव के लिए कुछ दिनों को छोड़कर, अधिक जानकारी के लिए वेबसाइट देखें)।
- वेबसाइट- https://alberthalljaipur.gov.in
- सम्पर्क- 0141-2820388, 2820389, 2820390
बिरला मंदिर
बिरला मंदिर 1988 में बिरला परिवार द्वारा बनवाया गया था। जिस जमीन पर यह मंदिर बना है वह जमीन जयपुर के राजा द्वारा एक रुपए की कीमत पर इसके निर्माण के लिए दान दी गई थी।
यह मंदिर तिलक नगर में जवाहरलाल नेहरू मार्ग पर स्थित है।
भगवान लक्ष्मी नारायण को समर्पित यह मंदिर अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। सफेद संगमरमर से बने इस मंदिर के चारों तरफ सुन्दर बगीचा है। जन्माष्टमी के त्योहार पर इस मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है और बहुत धूमधाम से यहां पर यह उत्सव मनाया जाता है।
- प्रवेश शुल्क (एंट्री फी)- कोई शुल्क नहीं
- खुलने का समय- रविवार से शनिवार सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे, शाम 3 बजे से रात 9 बजे तक
- वेबसाइट- www.tourism.rajasthan.gov.in
- सम्पर्क- 0141-2822863
गलता जी मंदिर
यह मंदिर जयपुर से तकरीबन 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां आप बस, टैक्सी या ऑटो रिक्शा से पहुंच सकते हैं। बढ़िया रहेगा यदि आप यहां जाने और वापसी के लिए एक टैक्सी बुक कर लें।

यह एक प्राचीन हिंदू तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। इस मंदिर का निर्माण दीवान राव कृपाराम द्वारा 18वीं शताब्दी में करवाया गया जो महाराजा सवाई जयसिंह के लिए कार्य करते थे।
यहां कई पवित्र कुंड और प्राकृतिक झरने हैं। यह मान्यता है कि यहां पर गलतव् नाम के एक संत ने आजीवन तपस्या की।
उनकी श्रद्धा से प्रसन्न होकर भगवान उनके सामने प्रकट हुए और इस स्थान को भरपूर जल का आशीर्वाद दिया। उन्हीं के नाम पर बाद में इस मंदिर का नाम पड़ा।
यहां आस-पास बहुत से बंदर हैं इसलिए यदि आप यहां जाएं तो अपने सामान का खास ध्यान रखें और मंदिर के आसपास अपने हाथों में कोई खाने पीने का सामान ना रखें।
- प्रवेश शुल्क (एंट्री फी)- कोई शुल्क नहीं
- खुलने का समय- रविवार से शनिवार
गेटोर
‘गेटोर’ शब्द ‘गए का ठोर’ से बना है जिसका अर्थ है ‘जाने वाले का स्थान’। यहाँ पर कछवाहा राजपूतों की समाधियां अथवा छतरियां बनी हुई है। यह स्थान शहर से 15 किलोमीटर दूर जयपुर-आमेर रोड पर है। लोकल बस, टैक्सी या ऑटो रिक्शा द्वारा यहां पहुंचा जा सकता है। यहां आपको राज परिवार के सदस्यों की छतरियां देखने को मिल जाएंगी।

यह छतरियां इस्लामिक और हिंदू शैली का खूबसूरत नमूना हैं। बहुत ही खूबसूरत छतरियों के बीच महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय की छतरी सबसे ज्यादा आकर्षक है।
- प्रवेश शुल्क (एंट्री फी)- भारतीय 30 रुपये, विदेशी 100 रुपये
- खुलने का समय- रविवार से शनिवार, सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक
जयपुर में कहां ठहरें?
होटल, हवेली और गेस्ट हाउस इसके अलावा जयपुर में बहुत से होमस्टे भी हैं जहां पर आप यहां के स्थानीय लोगों के आम जीवन, खान-पान और परंपराओं को नजदीक से जान और समझ सकेंगे।
जब आप जयपुर घूमने जायें तो ऐसी जगह पर ठहरें जो किसी न किसी तरह से आपकी यात्रा के अनुभव को और रोचक बनाये।
होमस्टे, हवेलियाँ, हॉस्टल आदि ऐसे स्थान हैं जो न केवल आपको रहने के लिए जगह देते हैं बल्कि आपको स्थानीय संस्कृति को करीब से जानने का मौका देते हैं। ऐसे ही कुछ चुनिंदा स्थानों के बारे में हम आपको बतायेंगे, जिन्हें आप अपनी अगली जयपुर यात्रा के लिए चुन सकते हैं।
गुलमोहर विला के हवादार, खुले कमरों में और खूबसूरत छत पर आप आराम से अपनी दिन भर की थकान मिटा सकते हैं। यहाँ हर यूनिट में एक पैटिओ, एक किचन और बैठने के लिए अलग जगह है। यह बुटीक होमस्टे आपको घर जैसा माहौल देता है।
सेवाओं में मुफ्त वाई-फाई, एयरपोर्ट शटल, स्पा और फॅमिली रूम शामिल हैं।
बुकिंग और रिव्यु के लिए यहाँ क्लिक करें।
क्या आप ठहरने के लिए ऐसी जगह ढूंढ रहे हैं जहाँ खर्चा कम हो पर सुविधाओं और आराम से समझौता न हो? तो ज़्यादा मत सोचिये क्योंकि ब्लू बेड्स हॉस्टल आपके लिए बिल्कुल सही जगह है।
शहर के बीचों-बीच बने इस हॉस्टल में वो सब सुविधायें उपलब्ध हैं जिनकी आप एक हॉस्टल से अपेक्षा कर सकते हैं। यह जगह ट्रैवेलर्स में बढ़िया स्टाफ़, साफ़- सफ़ाई और हॉस्टल द्वारा आयोजित ‘वॉक्स’ के लिए लोकप्रिय है।
बुकिंग और रिव्यु के लिए यहाँ क्लिक करें।
यदि आप अपनी जेब ढीली करने के लिए तैयार हैं या शाही मेहमाननवाज़ी का मज़ा लेना चाहते हैं, तो समोद हवेली में रुक सकते हैं। अद्भुत वास्तुकला और विभिन्न रंगों के साथ खूबसूरती से सजाये गए कमरे आपको ज़रूर पसंद आयेंगे। यहाँ स्पा, फिटनेस सेंटर, रेस्तरां और बिज़नेस सेंटर की सुविधा भी उपलब्ध है। यहाँ ठहरने वाले मेहमान शाम को पारंपरिक संगीत और नृत्य का आनंद ले सकते हैं।
बुकिंग और रिव्यु के लिए यहाँ क्लिक करें।
जो लोग अकेले घूमना चाहते हैं या दूसरे देशों से आए हुए लोगों से मिलना पसंद करते हैं और कम खर्चे में रहना चाहते हैं उनके लिए जयपुर में ‘जॉस्टल’, ‘द हॉस्टलर’, ‘मुस्टैश’, ‘जयपुर जंतर’, ‘चलो इको हॉस्टल’ आदि बढ़िया विकल्प हैं।
आमेर का किला

आमेर के किले का निर्माण महाराजा मानसिंह द्वारा 1592 में करवाया गया। यह बहुत ही पुराना किला है जो बाहर से देखने में शायद साधारण सा लगे पर अंदर से बेहद खूबसूरत और भव्य है। जयपुर शहर से तकरीबन 11 किलोमीटर दूर स्थित होने के वजह से यहां पहुंचने का सबसे बढ़िया तरीका है टैक्सी या ऑटो रिक्शा।
पीले और गुलाबी बालू पत्थर और सफेद संगमरमर से बने इस किले में दीवान-ए-आम, शीश महल, सुख महल आदि शामिल हैं। विदेशी आक्रमण और समय की मार के बावजूद यह किला आज भी एक मजबूत और शानदार इमारत के रूप में खड़ा है।

यहां कई हिंदी फिल्मों के दृश्य फिल्माये गए हैं जैसे कि – ‘जोधा अकबर’ और ‘बाजीराव मस्तानी’। शाम के समय यहां पर एक खूबसूरत लाइट एंड साउंड शो किया जाता है।
जब मैं आमेर का किला घूमने गई थी तो इसकी खूबसूरती में इतनी खो गई कि पता ही नहीं चला कब किला बंद होने का समय हो गया। इसका एहसास हमें तब हुआ जब हमें अपने आसपास कोई और व्यक्ति दिखाई नहीं दिया और हम वापस जाने का रास्ता नहीं ढूंढ पाए। कुछ देर इधर-उधर घूमने के बाद हमें एक गार्ड दिखाई दिया जिसने एक स्थानीय गाइड से हमें बाहर तक पहुंचाने के लिए कहा। उस गाइड के साथ हम किले से बाहर आए।
- प्रवेश शुल्क (एंट्री फी)- भारतीय 100 रुपये, विदेशी 500 रुपये
- खुलने का समय- रविवार से शनिवार, सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक
- वेबसाइट- www.tourism.rajasthan.gov.in
- सम्पर्क- 0141-2822863
नाहरगढ़ किला

यह किला अरावली पहाड़ियों की तलहटी में बना हुआ है। इसे महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 18वीं शताब्दी में बनवाया था। इस महल में एक वैक्स म्यूजियम भी है जहां बहुत से प्रसिद्ध लोगों की मूर्तियां प्रदर्शित की गई हैं। यहां एक बावड़ी भी है जो अब लगभग सूख चुकी है। इस बावड़ी पर ‘रंग दे बसंती’ फिल्म के कुछ दृश्य फिल्माए गए थे।
जब आप किले में घूमते-घूमते थक जायें तो यहां स्थित एक रेस्टोरेंट की तरफ रुख कर सकते हैं जहां आपको खाने पीने के लिए बहुत कुछ मिल जाएगा। ऊंचाई पर बने इस रेस्तरां से आप पूरे शहर का मनमोहक नज़ारा देख सकते हैं।

शाम को सूर्यास्त के समय यहां फोटोग्राफरों और पर्यटकों की भीड़ इकट्ठी होनी शुरू हो जाती है। बेहतर रहेगा कि आप सूर्यास्त से कुछ समय पहले यहां पहुंचकर अपने लिए बढ़िया जगह चुन ले। यहां बैठकर हमने शहर के कई प्रसिद्ध स्थानों को पहचानने की कोशिश की। यह बिल्कुल ऐसा ही था जैसे शहर की सबसे ऊंची इमारत की बालकनी में बैठकर शहर को देखना।
- प्रवेश शुल्क (एंट्री फी)- भारतीय 50 रुपये, विदेशी 200 रुपये
- खुलने का समय- रविवार से शनिवार, सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक
- वेबसाइट- www.tourism.rajasthan.gov.in
- सम्पर्क- 0141-2822863
जयगढ़ किला
जयगढ़ किला जयपुर शहर से तकरीबन 15 किलोमीटर दूर आमेर रोड पर ‘चील का टीला’ नाम की पहाड़ी पर स्थित है। इस किले का निर्माण कार्य भी महाराजा जयसिंह द्वितीय द्वारा 18वीं शताब्दी में करवाया गया था। यह किला तकरीबन 3 किलोमीटर लंबे और 1 किलोमीटर चौड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। जैवाना तोप के लिए प्रसिद्ध यह किला लोगों में आकर्षण का केंद्र है। यहां के संग्रहालय में आपको बहुत सी कलाकृतियां, चित्र, कालीन, अस्त्र-शस्त्र आदि देखने को मिल जाएंगे।

यहां की एक खुफिया सुरंग इस किले को आमेर के किले से जोड़ती है।
- प्रवेश शुल्क (एंट्री फी)- भारतीय 70 रुपये, विदेशी 150 रुपये
- खुलने का समय- रविवार से शनिवार, सुबह 9 बजे से रात 10 बजे तक
- वेबसाइट- www.tourism.rajasthan.gov.in
- सम्पर्क- 0141-2822863
बी एम बिड़ला प्लैनेटेरियम
अगर किसी को ब्रह्मांड और उसके रहस्यों के बारे में जानने में रुचि हो तो उसे जयपुर के इस प्लैनेटोरियम में जरूर आना चाहिए। हैदराबाद और चेन्नई के प्लैनेटेरियम की तरह यह प्लैनेटेरियम भी सी के बिरला ग्रुप द्वारा की गई कोशिशों का नतीजा है।
इसका उद्घाटन 17 मार्च 1987 को श्री जी पी बिरला और श्रीमती निर्मला बिरला द्वारा किया गया। ब्रह्मांड और खगोल के बारे में जानकारी देने के लिए यहां पर समय-समय पर विभिन्न प्रकार के सेमिनार और वर्कशॉप करवाए जाते हैं।
- प्रवेश शुल्क (एंट्री फी)- 60रुपये
- खुलने का समय- मंगलवार से रविवार ( सोमवार बंद) सुबह 11बजे से शाम 7.30 बजे तक
- वेबसाइट- www.bmbirlaplanet.org
- सम्पर्क- 0141-2385367
जल महल
ये जल महल या कहिये ‘पानी में बना हुआ महल’ आमेर-जयपुर रोड पर मानसागर झील के बीच में बना हुआ है। यह असल में एक पांच मंजिला इमारत है पर देखने में सिर्फ एक मंजिल की प्रतीत होती है क्योंकि इसकी बाकी चार मंजिलें पानी के नीचे हैं।
इसकी नींव महाराजा प्रताप सिंह द्वारा 18वीं शताब्दी में रखी गई थी और इसे महाराजा जयसिंह द्वितीय ने पूरा करवाया।

राजपूत और मुगल शैली के संगम से बना यह महल देखने में बहुत खूबसूरत लगता है। शाम के समय इस महल की खूबसूरती को निहारना एक अच्छा अनुभव है पर यहां की झील में बोटिंग करने की और इस महल के अंदर जाने की अनुमति नहीं है।
- प्रवेश शुल्क (एंट्री फी)- अंदर प्रवेश की अनुमति नहीं
आभानेरी
आभानेरी जयपुर से तकरीबन 95 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दौसा जिले का एक गांव है। यहां की चांद बावड़ी तकरीबन 1000 वर्ष पुरानी है जिसे निकुम्बा वंश के राजा चंदा ने 9वीं शताब्दी में बनवाया था। इस बावड़ी में 3500 सीढ़ियां हैं। 64 फीट गहरी यह बावड़ी भारत की सबसे बड़ी और गहरी बावड़ी है जिसे पानी भरने के लिए बनाया गया था।

अपनी लाजवाब निर्माण शैली की वजह से यह बहुत से पर्यटकों को आकर्षित करती है। ‘पहेली’, ‘द फॉल’, ‘डार्क नाइट राइज़ेज़’ जैसी कई फिल्मों के दृश्यों में दिखने के बाद यह बावड़ी आम लोगों में काफी प्रसिद्ध हो गई।
जयपुर से यहां आने के लिए कोई सीधी बस नहीं है। जयपुर से बस द्वारा सिकंदरा जा कर वहां से आभानेरी के लिए जीप या टैक्सी ली जा सकती है। सबसे बढ़िया रहेगा यहाँ आने-जाने के लिए एक प्राइवेट टैक्सी बुक करना।
जवाहर कला केंद्र
जयपुर के जवाहर लाल मार्ग पर स्थित यह स्थान कला में रुचि रखने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इसे जे.के.के (JKK) नाम से भी जाना जाता है और इसे चार्ल्स कोरिया ने डिज़ाइन किया था। राजस्थान की विभिन्न कलाओं को सहेजने, उन्हें बढ़ावा देने और प्रदर्शित करने के लिए राजस्थान सरकार द्वारा इस जगह का निर्माण करवाया गया था। यहां पर कई ऑडिटोरियम, लाइब्रेरी, कैफे, थिएटर के अलावा प्रदर्शनी और कार्यक्रमों के लिए स्थान भी उपलब्ध हैं।
- प्रवेश शुल्क (एंट्री फी)- कोई प्रवेश शुल्क नहीं (अंदर विभिन्न कार्यक्रमों के लिए प्रवेश शुल्क हो सकता है)
- खुलने का समय- रविवार से शनिवार सुबह 9 बजे से रात 10 बजे तक
- वेबसाइट- jkk.artandculture.rajasthan.gov.in
- सम्पर्क- 0141-2706560, 2706503
जयपुर में वॉलिंटियर प्रोग्राम्स
जयपुर में बहुत सी ऐसी गैर-सरकारी संस्थाएं हैं जो शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, आजीविका आदि के क्षेत्र में काम करती हैं। यदि आपकी इसमें रुचि हो और आप लंबे समय के लिए जयपुर में हों तो आप इन संस्थाओं के साथ जुड़ सकते हैं।
प्रवीनलता संस्थान www.pls-ngo.org
यह एक ऐसी संस्था है जो राजस्थान में बाल विकास, स्त्री सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास के लिए काम कर रही है। महिलाओं द्वारा बनाए गए सामान की बिक्री के लिए भी यह सहयोग करती है और उन्हें एक मंच प्रदान करती है।
प्रवाह www.commutiny.in
यह एक गैर-सरकारी संस्था है जो प्रवाह दिल्ली के साथ जुड़ी हुई है। यह युवा लोगों के विकास और सामाजिक न्याय के लिए जयपुर में काम कर रही है।

क्रिएटिस www.creatis.in
इनके साथ जुड़ कर आप स्थानीय कलाओं जैसे कि ब्लॉक प्रिंटिंग, टाई एंड डाई, कढ़ाई आदि में हाथ आज़मा सकते हैं। यहां क्लास में आप कुछ ना कुछ तो सीखेंगे ही और साथ ही अपने लिए कुछ बना भी सकते हैं।
अहिंसाग्राम www.ahimsagram.in
यह एक ऐसी संस्था है जो व्यक्तिगत सशक्तिकरण के साथ-साथ पूरे समुदाय के विकास के लिए काम कर रही है। यह लोगों, संगठनों और समुदायों के साथ मिलकर प्रभावी ढंग से काम करने की प्रणाली का निर्माण करते हैं।
जयपुर कैसे पहुंचे?
जयपुर में सांगानेर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट है जहां से दिल्ली और मुंबई के लिए सीधी उड़ानें हैं।
जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन भारत के अन्य बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, जम्मू, चंडीगढ़, हरिद्वार, भोपाल, कोलकाता, लखनऊ, पटना, बैंगलोर, चेन्नई, हैदराबाद आदि से जुड़ा हुआ है।
दिल्ली, कोटा, अहमदाबाद, चंडीगढ़, उदयपुर, बड़ोदरा, अजमेर आदि जैसे बड़े शहरों से जयपुर के लिए बस सर्विस उपलब्ध है।
जयपुर जाकर क्या खायें ?

जयपुर में खाने की जगहों की कोई कमी नहीं है। पारंपरिक राजस्थानी खाने से लेकर अन्य भारतीय व्यंजन, फास्ट फूड, बढ़िया रेस्त्रां, गलियों और बाज़ारों में खाने के ठेले, आपको यहां सब कुछ मिलेगा।
रामनिवास बाग के मसाला चौक में आपको बहुत सारे छोटे-छोटे स्टॉल मिलेंगे जो जयपुर की प्रसिद्ध खाने की चीजें पेश करते हैं। आप जयपुर के कई अलग-अलग व्यंजनों का स्वाद एक साथ, एक ही जगह पर चख सकते हैं।
अगर आप किसी शानदार जगह पर खाना खाना चाहते हो तो 1135 ए डी स्वर्ण महल विरासत हेरिटेज रेस्त्रां हांडी में जा सकते हैं। यहाँ आप शुद्ध पारंपरिक राजस्थानी खाने का मज़ा ले सकते हैं।
अगर आप चाय के शौकीन हैं तो ‘टपरी-द टी हाउस’ में ज़रूर जायें। यहां आपको बढ़िया वातावरण और चाय के साथ-साथ और बहुत सी खाने की चीजें भी मिलेंगी।
‘चावला पानीपुरी’, ‘लस्सी वाला’ की लस्सी, ‘गुलाब जी’ की चाय, ‘सराओगी मेनशन’ का फलाहार, ‘पंडित पाव भाजी’ और ‘बापू बाजार’ की फालूदा कुल्फी- जयपुर की कुछ ऐसी खास चीजें हैं जिन्हें आपको कम से कम एक बार ज़रूर चखना चाहिए।
‘लक्ष्मी मिष्ठान भंडार’ अथवा ‘एल एम बी’ (LMB) जयपुर में मिठाइयों के लिए बहुत ही लोकप्रिय है। और अगर आप कचौड़ी खाना चाहें तो ‘सम्राट रेस्तरां’ और ‘राधे कचोरी’ आपके लिए सही जगह है।
जयपुर से क्या खरीदें?

खरीददारी के लिए आप जयपुर के मॉल्स जैसे डब्ल्यूटीपी (WTP), पिंक स्क्वायर, और जीटी(GT) में जा सकते हैं। पर अगर आप स्थानीय खरीदारी का अनुभव करना चाहते हैं तो बापू बाजार या जोहरी बाजार की तरफ जाएं।
यहां आप आराम से घूमते हुए दुकानों पर सजी तरह-तरह की चीजें देख सकते हैं और खरीद सकते हैं। यहां आपको साड़ी, लहंगा, सलवार कमीज, शॉल, बंधेज, दुपट्टा, ब्लॉक प्रिंटेड चादरें, हैंडबैग, ज्वेलरी, पारंपरिक जूतियां आदि बहुत कुछ आसानी से मिल जाएगा। यहां पर मोलभाव करना ना भूलें। अलग-अलग दुकानों पर घूमकर और चीजों के दाम जानने के बाद ही कुछ खरीदें। अगर आप ज्यादा चलना ना चाहें तो यहां ई-रिक्शा भी ले सकते हैं।
जयपुर से ख़रीददारी करने के बारे में और जानकारी के लिए ये पोस्ट पढ़ें।
जयपुर घूमने के लिए सबसे बढ़िया समय कब है?
जयपुर घूमने के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे बढ़िया है जब मौसम में ठंडक रहती है। जयपुर घूमने के लिए आपको बहुत सी जगहों पर पैदल चलना पड़ता है इसलिए गर्मियां जयपुर घूमने के लिए सही समय नहीं है। गर्मियों में दिन के समय यहाँ मौसम बहुत ज़्यादा गर्म हो जाता है। गर्मी के मौसम में यहां घूमते समय पीने का पानी, सनग्लासेस, सनस्क्रीन और सर ढकने के लिए टोपी इत्यादि साथ रखना ज़रूरी हो जाता है।
जयपुर में क्या पहनें?
एक भारतीय पर्यटक के तौर पर मैं ऐसे कपड़े पहनना पसंद करती हूं जो जगह के अनुसार सही हों। यहां अधिकतर धार्मिक स्थलों पर आपने शरीर को ढकना ज़रूरी है। यदि आप गुरुद्वारे में जाते हैं तो आपके लिए सर ढकना भी जरूरी है। बढ़िया रहेगा अगर आप अपने साथ एक स्कार्फ या दुपट्टा रखें ताकि ऐसे स्थानों पर उसका उपयोग कर सकें।
ज्यादातर स्थानीय औरतें यहां भारतीय वेशभूषा जैसे की साड़ी और सलवार कमीज आदि पहनती हैं। यहां आपको युवतियां जींस, कुर्ती आदि पहने भी दिखाई दे जाएंगी।
क्या जयपुर पर्यटकों के लिए सुरक्षित है?
जयपुर पर्यटकों के लिए और अकेले घूमने वालों के लिए भी काफी सुरक्षित स्थान है। पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय होने के कारण यहां पर विश्व भर से पर्यटक आते हैं। बस कुछ बातों का ध्यान रखें जैसे देर रात कहीं अकेले बाहर ना घूमें और इमरजेंसी नंबर अपने पास हमेशा रखें। यदि आप विदेशी पर्यटक हैं तो हो सकता है कि दुकानदार, गाइड, रिक्शावाले आदि आपको थोड़ा ज्यादा परेशान करें। यदि आप बात नहीं करना चाहते तो थोड़ी सख्ती दिखाते हुए मना कर दें।
यदि आप इन कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो जयपुर घूमना आपके लिए बेहद मज़ेदार और सुखद अनुभव रहेगा।
जयपुर की पुरानी इमारतों को देखकर ऐसा लगता है कि इनकी आधारशिलाओं के नीचे जाने कितनी अनकही कहानियां दबी पड़ी होंगी जिन्हें मैं आज भी सुनना चाहती हूं। अगर कभी मैं इस धरती पर पहले रही होंऊगी तो वो जगह राजस्थान में ही कहीं होगी। मैं अपनी कल्पनाओं में खुद को यहां के महलों में घूमते हुए, झरोखों पर बैठकर गाते हुए और गलियारों झूमते हुए देख सकती हूं।
Frequently asked questions
जयपुर विभिन्न प्रकार के आभूषणों, कपड़ों, महंगे नगों, जवाहरात, लाख की चूड़ियों और कई तरह के हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है। हवा महल, सिटी पैलेस, जंतर मंतर, अल्बर्ट हॉल म्यूजियम, बिरला मंदिर, गलता जी मंदिर, नाहरगढ़ किला, आमेर किला, जल महल, आभानेरी आदि कई ऐसी जगह हैं जिनके लिए जयपुर जाना जाता है।
1876 में वेल्स के राजकुमार एवं महारानी विक्टोरिया के भारत दौरे के समय महाराजा सवाई रामसिंह द्वितीय ने उनके स्वागत में पूरे जयपुर शहर को गुलाबी रंग से रंगवा दिया था। तब से जयपुर ‘गुलाबी शहर’ के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
अभी भी आपको जयपुर की कई ऐतिहासिक और सरकारी इमारतें टेराकोटा गुलाबी रंग में रंगी हुई दिखाई दे जाएंगी।
BUSY? PIN NOW READ LATER


This post was originally written in English and can be read here 15 iconic attractions and places to visit in Jaipur.
Video on Top Things To Do/See in Jaipur
Here’s a list of the Top 10 things to do & see in Jaipur by GottaDoIndia.